
सांकेतिक तस्वीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Water Supply In Navi Mumbai: अपना डैम और काफी पानी होने के बावजूद नवी मुंबई मनपा ने एक बार फिर शहर की पानी सप्लाई का प्लान बनाने का फैसला किया है। कोपरखैरने से ऐरोली के लिए पारसिक हिल से म्हापे तक पांच फुट डायमीटर की नई पानी की पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
मोरबे डैम का पानी अभी बेलापुर में पारसिक हिल पर एक रिजवींयर में स्टोर किया जाता है और फिर बेलापुर से ऐरोली-दीघा तक अलग-अलग क्षेत्रों में बांटा जाता है। पता हो कि इस सिस्टम से कोपरखैरने से दिघा तक काफी प्रेशर से पानी सप्लाई नहीं हो पाती है, जिसकी वजह से मनपा को नागरिकों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। इसके सॉल्यूशन के तौर पर, पारसिक हिल से म्हापे तक पांच फुट डायमीटर की नई पानी की पाइपलाइन बिछाने का निर्णय लिया है।
मुंबई के बाद नवी मुंबई, जिसका अपना डैम है, राज्य की दूसरी सबसे बड़ी महानगरपालिका है। इस डैम से मिलने वाले 450 एमएलडी पानी में से नवी मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन 50 एमएलडी पानी सिडको की सीमा में आने वाले खारघर और कलंबोली जैसे इलाकों में बांटता है।
नवी मुंबई मनपा को सिडको के बारवी डैम से 80 एमएलडी पानी मिलने का प्रस्ताव पहले ही मंजूर हो चुका है। लेकिन नवी मुंबई मनपा को सिर्फ 55 से 60 एमएलडी पानी ही मिलता है, जो मंजूर कोटे से बहुत कम है। इसलिए मनपा को पानी बांटने के सिस्टम को ठीक रखने के लिए कई तरह की कसरत करनी पड़ती है।
नवी मुंबई के सभी उपनगरों में सही और सही प्रेशर से पानी सप्लाई करने के लिए बनाया गया, यह प्रोजेक्ट शहर की पानी की प्लानिग में एक अहम मील का पत्थर साबित होगा, नवी मुंबई शहर में पानी का डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम कुशल है और सेंट्रल लेवल पर भी इसकी तारीफ हुई है। हमारी कोशिश इस सिस्टम को मजबूत बनाना और इसकी कमियों को दूर करना है।
– डॉ कैलाश शिंदे, आयुक्त, नवी मुंबई मनपा
भोरचे डैम से नवी मुंबई मनपा मुख्यालय को आने वाला पानी अभी बेलापुर में पारसिक हिल पर एक बड़े टैंक में जमा होता है। इस तालाब से, यह बानी ग्रेविटी के जरिए बेलापुर, सीवुड, नेरुल, सानपाडा, वाशी के उपनगरों और अलग-अलग हिस्सों में ऐरोली और दिधा तक बांटा जाता है।
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इस डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में, कोपरखैरने से दिया तक के उपनगर आखिरी स्टॉप है। पारसिक हिल पर बने तालाब से छोड़े गए पानी को अलग-अलग उपनगरों में पहुंचाने के लिए ऐसे ही कनेक्शन है। हालाकि अगर पानी के डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में कोई खराबी आती है, जिसकी वजह से पानी कम होता है।






