पिता ने की इच्छामृत्यु की मांग, सीएम को लिखा पत्र (सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: “अगर सरकार हमारे बच्चों को बचाने में असमर्थ है, तो कम से कम हमें मरने की इजाजत दीजिए।” यह मार्मिक अपील मुंबई के निवासी महादू बेलकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र के माध्यम से की है। महादू बेलकर का 15 वर्षीय बेटा, तनेश बेलकर, एक दुर्लभ और लाइलाज बीमारी एसएसपीई (Subacute Sclerosing Panencephalitis) से पीड़ित है।
यह बीमारी मस्तिष्क को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है, जिससे रोगी को अत्यंत पीड़ा होती है। तनेश आज न तो चल सकता है और न ही बोल सकता है। बेलकर ने पत्र में लिखा की, “मेरे बेटे को हर मिनट असहनीय दर्द झेलना पड़ रहा है। उसके शरीर की हर हरकत बंद हो चुकी है। एक माता-पिता होने के नाते हम यह यातना रोज़-रोज़ नहीं देख सकते। अगर सरकार उसका इलाज नहीं कर सकती, तो कृपया हमें इच्छामृत्यु का अधिकार दीजिए।”
महादू बेलकर ने बताया कि महाराष्ट्र में इस समय एसएसपीई के 67 मरीज हैं, लेकिन न राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार की ओर से किसी प्रकार की सहायता मिल रही है। उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों ने केवल सहानुभूति के शब्द कहे, पर किसी ने भी व्यावहारिक मदद नहीं की। एसएसपीई के इलाज में लाखों रुपये खर्च होते हैं। यह खर्च हम जैसे मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए संभव नहीं है। राज्य की कई माताएं-पिताएं आर्थिक और मानसिक रूप से टूट चुके हैं।
महादू बेलकर ने अपने पत्र में हाल ही में एसएसपीई से पीड़ित 7 वर्षीय ओवी पुरी की मृत्यु का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि ओवी के माता-पिता ने 30 लाख रुपये से अधिक खर्च किए, फिर भी वे उसकी जान नहीं बचा सके। इसी बीमारी से पीड़ित 22 वर्षीय रितिक जैन की मां, मीनाबाई जैन, का 23 जून को निधन हो गया।
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उनके पति मांगीलाल जैन ने बताया, “मेरा बेटा 2020 से एसएसपीई से पीड़ित है। उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है, लेकिन किसी से कोई मदद नहीं मिल रही। इस चिंता और तनाव में मेरी पत्नी की जान चली गई। अब मेरे पास 2 बच्चे हैं, और आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। कभी-कभी लगता है कि मर जाना ही बेहतर है।”
एसएसपीई जैसी घातक और दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों के परिजन अब सरकार से न्याय की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इलाज संभव नहीं है, तो कम से कम सरकार इस दर्द से मुक्ति के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति दे। अब देखना होगा कि क्या सरकार इन टूटते हुए परिवारों की आवाज़ सुनेगी, या फिर ये बच्चे और उनके माता-पिता ऐसे ही तिल-तिल कर दम तोड़ते रहेंगे।