तुलसी झील (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mumbai Water Crisis News: वैश्विक जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ने मौसमी चक्र को बदल दिया है। मुंबई महानगर क्षेत्र में लगातार बढ़ रही जनसंख्या और शहरीकरण के कारण पानी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। साल 2041 तक आबादी 1 करोड़ 72 लाख तक पहुंच जाएगी और 6,535 एमएलडी पानी को जरूरत होगी।
पानी की बढ़ रही मांग ने बीएमसी प्रशासन के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। भविष्य में इस समस्या से निपटने के लिए बीएमसी ने नए जल स्त्रोत बढ़ाने की कवायद तेज कर दी है।
मुंबई में सात झीलों से प्रतिदिन 4,000 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती है। कई इलाकों में जल संकट की स्थिति बरकरार है। जलापूर्ति बढ़ाने और मांग-आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए मशक्कत जारी है। पानी की मांग लगातार चढ़ती जा रही है। भविष्य में जल संकट विकराल रूप धारण कर सकता है। इसके लिए मेगा प्लान तैयार किया गया है।
मुंबई को जलापूर्ति करने वाली 7 झीलों में इस मानसून में एक साल तक का पानी का स्टॉक जमा हो चुका है। इस साल मुंबई वासियों को गर्मियों के दिनों तक पानी की टेंशन नहीं है। ये सभी झीलें मुंबई से लगभग 100 से 175 किलोमीटर दूर स्थित हैं। इनकी जल भंडारण क्षमता कुल 14,47,363 एमएलडी है। इन झीलों से वर्तमान में 4,000 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती है, जबकि पानी की मांग 4250 मिलियन लीटर है।
राज्य सरकार की पहल पर बीएमसी प्रशासन ने भविष्य की समस्या से निपटने के लिए कई परियोजनाएं प्रस्तावित की हैं। अब इन परियोजनाओं को अमतीय जामा पहनाने की कवायद तेज कर दी गई है।
शनिवार को झीलों के अभ्यास दौरे में बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि पानी की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के लिए मनोरी में 200 एमएलडी प्रतिदिन क्षमता वाली खारे पानी की शुद्धिकरण परियोजना के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए गए हैं, जिसकी विस्तार क्षमता 400 एमएलडी प्रतिदिन तक होगी।
गरगई परियोयना 440 एमएलडी प्रतिदन, चिजल 865 एमएलडी प्रतिदिन और दमनगंगा पिंजल नदी लिंक परियोजना 1.586 एमएलडी प्रतिदिन को विकसित करने पर काम शुरू किया गया है। इससे रोजाना 2,891 एमएलडी पानी बढ़ने की उम्मीद है।
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट और निविदा तैयार करने के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति की जा चुकी है। इन परियोजनाओं को अंतिम रूप देने के तुरंत बाद विकास कार्य शुरू किए जाएंगे।
बीएमसी ने चालू वित्तीय वर्ष के बजट में पानी की समस्या का समाधान निकालने के लिए जलापूर्ति परियोजना के लिए 2400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पानी की मांग पूरा करने के लिए गारगाई, पिंजाल और दमनगंगा पिंजाल नदी जोड़ परियोजना को प्राथमिकता दी जा रही है।
शुद्ध जल को भांडुप कॉम्प्लेक्स और येवई में स्थित मास्टर बैलेंसिंग जलाशय में संग्रहित किया जाता है, इनसे शहर भर के 27 सेवा जलाशयों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है। लगभग 3 लाख 60 हजार जल कनेक्शनी के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को जल आपूर्ति की जाती है।
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गरगई बांध परियोजना को वन्यजीव विभाग से अनुमति मिल चुकी है और केंद्र से अनुमति मिलनी बाकी है। परियोजना को अनुमति मिलने के बाद निर्माण कार्य पूरा होने में लगभग वार वर्ष लगेंगे। इस परियोजना पर 3,100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। मरगई के साथ ही पिंजल और दमनगंगा परियोजना काम रुका हुआ है। पिछले दस वर्षों में एक भी नया बांध नहीं बना है। समुद्री जल को मीठा बनाने वाली परियोजना भी ठप पड़ी है।
पानी की आपूर्ति की जाती है। सुचारू दैनिक जल आपूर्ति के लिए लगभग 1,000 वाल्य खोले और बंद किए जाते हैं। लगभग 1,150 इंजीनियर, 8,950 कर्मचारी और अन्य कर्मचारी तैनात हैं।