प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Sambhajinagar Plot Sale Fraud: छत्रपति संभाजीनगर फर्जी मुख्तारनामा बनाने के बाद वह असली होने का दर्शाया गया। यही नहीं, एक की भूखंड अलग-अलग लोगों को दो व तीन बार बिक्री व पंजीयन कर सामान्य लोगों के साथ ही सरकार को भी चूना लगाया गया।
घटना 10 दिसंबर से 30 दिसंबर 2024 के बीच सह दोयम निबंधक वर्ग 2 में हुई। इस बारे में एड। हर्षल भागचंद शिंदे (45) व उसकी पत्नी एड। सायली शिंदे के खिलाफ सिटी चौक पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्रकरण में इससे पहले ही सातारा पुलिस थाने में दो केस दर्ज किए गए हैं।
सह दोयम निबंधक क्रमांक 5 कार्यालय के अधिकारी आबासाहेब तुपे ने फरियाद दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि मौजे गंगापुर जहांगीर स्थित गुट क्रमांक 141 में से साईं निवारा इस ले-आउट में प्लॉट क्रमांक 14 व 15 के बिक्री व्यवहार में उक्त घोटाला उजागर हुआ।
प्लॉट क्रमांक 14 इससे पहले ही दोयम निबंधक क्रमांक 1 कार्यालय में 6 सितंबर, 2024 को पंजीकृत था। बावजूद इसके वह प्लॉट पुनः 30 दिसंबर, 2024 को सह दोयम निबंधक क्रमांक 5 कार्यालय में पंजीकृत कराया। दोनों दस्तावेजों में क्षेत्रफल व चतुःसीमा समान थी।
प्लॉट क्रमांक 15 के बारे में भी ऐसी ही घटना प्रकाश में आई है। जांच में पता चला कि यह प्लॉट पहले 12 जुलाई 2024 को 12 लाख रुपए में बेचा गया। इसके चुनिंदा महीनों में यह प्लॉट पुनः 18 अक्टूबर, 2024 को महज 2 लाख, 90,000 रुपए में अन्य शख्स को बेचा गया।
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पुलिस जांच में पता चला कि सायली शिंदे की ओर से बतौर मुख्तार हर्षल शिंदे ने फर्जी मुख्तार नामा पेश किया। यह मुख्तारपत्र शहर के सह दोयम निबंधक कार्यालय क्रमांक 1 में पंजीकृत दर्शाने के लिए कार्यालय की फर्जी मुहर का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी बड़े पैमाने पर की गई।
पंजीयन अधिनियम 1908 व महाराष्ट्र नोंदणी नियमों के अनुसार दोयम निबंधकों को स्वामित्व अधिकार, कर्ज या गिरवी जांचने का अधिकार नहीं रहता है। इन कानूनी मर्यादाओं का दुरुपयोग कर व फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर पंजीयन कर सरकार की आंखों में धूल झोंकी गई। जांच उपनिरीक्षक बुधा शिंदे कर रहे हैं।