ईडी की कार्रवाई (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 764 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से संबंधित मामले में लगभग 81 करोड़ 88 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून के तहत की गई है। इस मामले में विंध्यवासिनी ग्रुप ऑफ कंपनी के प्रवर्तक विजय राजेंद्रप्रसाद गुप्ता, अजय आर. राजेंद्रप्रसाद गुप्ता और उनके सहयोगियों पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से 764 करोड़ 44 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है।
इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की आर्थिक अपराध शाखा ने भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया था। इसमें आरोप है कि विजय गुप्ता और अजय गुप्ता ने बैंक अधिकारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, ऋण सलाहकार और अन्य आरोपियों की मदद से मिलीभगत करके यह धोखाधड़ी की। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से कंपनियों के नाम पर विभिन्न ऋण और क्रेडिट सुविधाएं ली गईं। इस धनराशि का उपयोग निजी लाभ और अन्य अवैध कार्यों के लिए किया गया, जिससे एसबीआई को 764 करोड़ 44 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
इस घोटाले में लेन-देन के लिए 50 से अधिक फर्जी कंपनियों का उपयोग किया गया। ईडी ने बताया कि धोखाधड़ी की राशि में से 42 करोड़ रुपये नकद में निकाले गए। इस धनराशि का उपयोग आरोपियों ने स्वयं, अपने परिवारजनों और बेनामी व्यक्तियों के नाम पर अचल संपत्तियाँ खरीदने के लिए किया।
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ईडी की जांच के अनुसार, सिलवासा और महाराष्ट्र में मिल्स की खरीद के लिए विभिन्न कंपनियों के नाम पर टर्म लोन और कैश क्रेडिट सुविधाएं ली गई थीं। इसके अलावा, राजपूत रिटेल लिमिटेड नामक कंपनी के नाम पर मॉल निर्माण और व्यावसायिक इमारतों की खरीद के लिए ऋण लिया गया। ऋण राशि प्राप्त करने के लिए फर्जी और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए अनुबंध पेश किए गए। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया।
इस मामले के मुख्य आरोपी विजय राजेंद्रप्रसाद गुप्ता को 26 मार्च 2025 को पीएमएलए कानून की धारा 19 के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में ईडी को और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है, जिसकी जांच और सत्यापन जारी है।