आरोपी फारूक टकला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के एक आरोपी मोहम्मद फारूक यासीन मंसूर उर्फ टकला को किसी अन्य व्यक्ति की पहचान का उपयोग करके जाली पासपोर्ट बनाने के मामले में 5 साल की जेल की सजा सुनाई है। 66 वर्षीय टकला 2018 से सलाखों के पीछे है और उसकी सजा पूरी मानी जाएगी क्योंकि वह पहले ही विचाराधीन कैदी के रूप में 5 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है।
फारूक को यूएई से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए मुक़दमे का सामना करना पड़ रहा है। उसे 1995 में फरार आरोपी घोषित किया गया था क्योंकि धमाकों में साजिशकर्ता के तौर पर नाम आने के बाद भी उसका पता नहीं चल पाया था। फारूक पर आरोप है कि वह मुस्ताक मोहम्मद मियां के नाम से यूएई में रह रहा था।
2001 में वह दुबई में भारत के महावाणिज्य दूतावास से फर्जी पहचान के साथ पासपोर्ट हासिल करने में कामयाब रहा। इस पासपोर्ट की वैधता 2002 में समाप्त हो गई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया कि फारूक ने 2011 में वाणिज्य दूतावास से उसी फर्जी पहचान के साथ एक और पासपोर्ट जारी करवाया।
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अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आरडी चव्हाण ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपी ने इस बात से इनकार नहीं किया कि 8 मार्च 2018 को वह दुबई से दिल्ली एयरपोर्ट आया था। जब आरोपी ने जाली पासपोर्ट के बारे में इनकार किया तो वह यह दिखाने में विफल रहा कि वह किस पासपोर्ट पर दुबई गया था और किस पासपोर्ट पर वह फिर से भारत आया था।
आरोपी यह बताने में भी विफल रहा कि यात्रा की प्रासंगिक तिथि पर उसके पास अपने नाम का वैध पासपोर्ट था। आरोपी अपने पासपोर्ट और अन्य विवरण, जैसे कि उसने पासपोर्ट के लिए और पासपोर्ट के नवीनीकरण के लिए कब आवेदन किया और वह बिना वैध पासपोर्ट के दुबई कैसे गया या किस पासपोर्ट पर गया?, देने में विफल रहा है।