नवी मुंबई महानगरपालिका (pic credit; social media)
Maharashtra News: नवी मुंबई के लिए राज्य सरकार द्वारा नई विकास योजना को मंजूरी दिए जाने के बाद नगर निगम के शहरी नियोजन विभाग में राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव बढ़ने लगा है। चर्चा है कि कुछ प्रभावशाली मंत्री, उनके निजी सचिव, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और सत्ता के गलियारों में दबदबा रखने वाले नेता इस विभाग में पद हासिल करने के लिए मनपा आयुक्त पर सीधा दबाव बना रहे हैं।
नगर नियोजन विभाग को हमेशा से नगर निगम का सबसे प्रभावशाली और लाभदायक विभाग माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में शहर के कई उपनगरों में पुनर्विकास की परियोजनाओं की बयार बहने लगी है। नवी मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में खाली प्लॉटों की संख्या सीमित है, ऐसे में सिडको की पुरानी इमारतों के पुनर्विकास ने निर्माण व्यवसाय को नई ऊर्जा दी है।
वाशी, नेरुल, सीबीडी बेलापुर और सानपाड़ा जैसे क्षेत्रों में पुनर्विकास परियोजनाओं की वजह से करोड़ों रुपये मूल्य के आलीशान घर सीधे बिक रहे हैं। इसी वजह से इन इलाकों में निर्माण स्वीकृतियों की संख्या शहर के अन्य हिस्सों की तुलना में कहीं ज्यादा है। यही कारण है कि शहरी नियोजन विभाग में नियुक्तियों को लेकर लॉबिंग और दबाव की राजनीति तेज हो गई है।
इसे भी पढ़ें- नवी मुंबई में अवैध पार्किंग से बिगड़ा ट्रैफिक सिस्टम, भारी वाहनों से बढ़ा जाम और खतरा
मिली जानकारी के मुताबिक, नगर नियोजन विभाग में पहले से जमे कुछ इंजीनियर अब वरिष्ठ मंत्रियों की मदद से अपनी पकड़ और मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस विभाग की जिम्मेदारी बड़ी विकास परियोजनाओं की फाइलों से जुड़ी होने के कारण यहां पद पाना कई लोगों के लिए प्राथमिकता बन चुका है।
शहर की विकास योजना तैयार करने में शामिल कुछ इंजीनियरों को योजना पूरी होते ही किनारे कर दिया गया है। अब उन पदों पर काबिज होने के लिए कई अधिकारी और इंजीनियर दौड़-धूप कर रहे हैं। इन हालातों ने मनपा प्रशासन और शहरी नियोजन विभाग दोनों में असंतोष और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है।