मंत्री के पास नहीं टाइम, अनशनकर्ता को बुलाया घर, शिरसाट फिर विवादों में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Mumbai News: सामाजिक न्याय मंत्री तथा संभाजी नगर जिले के पालक मंत्री संजय शिरसाट एक बार फिर से विवादों में घिर गए हैं। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना से ताल्लुक रखनेवाले शिरसाट का अमानवीय एवं अहंकारी रवैया इसकी वजह बना है। किसानों की कर्ज माफी एवं मुआवजे से जुड़ा है। इसके लिए 8 दिनों से अनशन कर रहे किसान की मांग थी कि मंत्री शिरसाट खुद आकर अनशन तुड़वाएं तो वह अपना अनशन समाप्त कर देगा।
लेकिन मंत्री शिरसाट ने अनशन स्थल पर जाने से इनकार कर दिया तथा अनशन कर्ता को अपने बंगले पर बुलवा लिया। नतीजतन मंत्री शिरसाट के हाथों ज्यूस पीकर अनशन खत्म करने की जिद पर बैठा अनशनकर्ता अंतत: अपनी जान बचाने के लिए मंत्री शिरसाट के बंगले पर जाने को मजबूर हुआ। इससे विपक्ष को मंत्री शिरसाट के साथ-साथ महायुति सरकार पर हमला बोलने का अवसर मिल गया है।
छत्रपति संभाजीनगर में पालकमंत्री संजय शिरसाट ने अनशन पर बैठे एक किसान को अपने घर बुलाकर सरकार को उपहास का पात्र बना दिया। जिले के कन्नड़ तालुका में भारी बारिश से प्रभावित किसानों की कर्जमाफी तथा मुआवजे की मांग को लेकर संदीप विजय कुमार शेठी नामक किसान ने 16 अक्टूबर को कन्नड़ तहसील कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू किया था। तहसीलदार और अन्य अधिकारियों के अनुरोध के बावजूद सेठी ने भूख हड़ताल वापस लेने से इनकार कर दिया।
उन्होंने शर्त रखी थी कि पालकमंत्री शिरसाट आकर आश्वासन दें, तभी वह अनशन खत्म करेंगे। किसान की बिगड़ती तबीयत से चिंतित तहसीलदार और डॉक्टरों ने किसी तरह मंत्री शिरसाट के निजी सहायक से संपर्क किया। तो उन्होंने कहा मंत्री शिरसाट ने कहा कि उनका कन्नड़ आना संभव नहीं है। भूख हड़ताल करने वाले को एंबुलेंस में छत्रपति संभाजीनगर घर ले आओ। तदनुसार, एक एंबुलेंस में अनशनकर्ता किसान के साथ तीन वाहनों में तहसीलदार, डॉक्टर, पुलिस और कार्यकर्ताओं का काफिला शनिवार की रात मंत्री शिरसाट के निवास पर पहुंचा। वहां मंत्री शिरसाट ने किसान शेठी को आश्वासन दिया कि सही समय आने पर उनकी मांगों को स्वीकार करेंगे तथा जूस पिला कर किसान शेठी का अनशन समाप्त कराया।
राकां शरदचंद्र पवार पार्टी के विधायक रोहित पवार ने सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर साझा पोस्ट में कहा कि इस सरकार में ऐसे कई नमूने हैं। अब एक और बेहतरीन नमूना सामने आया है। मंत्री संजय शिरसाट, जिनके पास सिडको में 5,000 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार करने और होटलों का सौदा करने से फुर्सत थी, उनके पास अनशन स्थल पर जाने का समय नहीं था, इसलिए उन्होंने अनशन पर बैठे किसान को अपने घर बुलाकर अनशन समाप्त कराया। कैसी सत्ता लोलुपता और कितनी असंवेदनशीलता।।!
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पालक मंत्री संजय शिरसाट सफाई देते हुए कहा कि “यह एक तरह का दुष्प्रचार है। मैं उस दिन शाम 6 बजे मुंबई से आया था। अनशनकर्ता किसान के पिता हमारी पार्टी के कार्यकर्ता थे। किसान ने मेरे हाथों से जूस पीकर अनशन खत्म करने की इच्छा व्यक्त की थी। वहां मौजूद तहसीलदार ने उन्हें मेरे निवास पर आने का सुझाव दिया था। और वह खुद अपनी मर्जी से आए थे। उनका परिवार भी वहां था। हमारे बीच करीब एक घंटे तक चर्चा हुई और उन्होंने अपना अनशन खत्म किया। यदि कोई किसान पालक मंत्री से मिलना चाहता है, तो वह मना कैसे कर सकता है? नौ दिन हो गए थे।
उन्हें तुरंत लाना जरूरी था। मैंने उन्हें इसलिए बुलाया क्योंकि मेरे और उनके बीच की दूरी बराबर थी। इसलिए विवाद की कोई वजह नहीं है। मेरे निजी सहायक ने कुछ नहीं कहा। मेरे पास सारे कार्यक्रम थे। मुझे नहीं लगता कि कोई गलती हुई है।