
टूट की कगार पर महाआघाड़ी (सौजन्य-डिजाइन फोटो, सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब राज्य में विपक्ष की महाविकास आघाड़ी टूट के कगार पर पहुंच गई है। दिल्ली विस चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस को छोड़ अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। इससे आग और भड़क गई है।
यूबीटी प्रवक्ता संजय राउत ने गठबंधन में टूट का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था और नतीजे भी अच्छे रहे। उसके बाद हम सभी की, खासकर कांग्रेस की यह जिम्मेदारी थी कि महाविकास आघाड़ी के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन को जिंदा रखें। एक साथ बैठकर आगे का रोड मैप तैयार करें लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया।
उन्होंने कहा, गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाई। दिल्ली के चुनाव में आप को समर्थन देने पर यूबीटी सांसद अनिल देसाई ने भी कहा कि महाराष्ट्र चुनाव में केजरीवाल ने हमारा समर्थन किया था। इसलिए हम लोगों ने दिल्ली विस चुनाव में उन्हें समर्थन देने का फैसला किया है लेकिन कांग्रेस को रास नहीं आ रहा है।
राउत ने कहा कि इंडिया गठबंधन के नेता तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उमर अब्दुल्ला का कहना है कि अब इंडिया गठबंधन का कोई वजूट नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि अगर नेताओं का नजरिया बदल रहा है तो इसके लिए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस जिम्मेदार है।
राकां शरद गुट के सांसद अमोल कोल्हे ने निशाना साधते हुए चुनाव में कहा कि विस चुनाव में हार के बाद कांग्रेस पार्टी की टूटी कमर अभी सीधी होने को तैयार नहीं है। वहीं ठाकरे गुट भी नींद से जागने को तैयार नहीं है। ऐसे में एक प्रमुख विपक्षी दल के रूप में हमारी पार्टी के लिए काफी स्पेस है।
कांग्रेस के एक और सीनियर नेता नितिन राउत ने कहा कि हमने संगठनात्मक ढांचे और विधानसभा चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया। इस वजह से हमें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने विश्वास जताया कि जल्द ही आलाकमान की ओर से संगठनात्मक बदलाव किया जाएगा। हमें उम्मीद है कि आलाकमान की ओर से बड़ा फैसला होगा।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली हार के लिए सीटों के बंटवारे में घोटाले को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर काफी समय बर्बाद हुआ। अगर सीटों का आवंटन 2 दिन में पूरा हो जाता तो प्रचार और योजना के लिए 18 दिन मिल जाते। इससे हम बेहतर रिजल्ट हासिल कर पाते।






