अजित पवार ने शाह से अकेले में की मुलाकात (सौजन्य-एएनआई)
मुंबई: महायुति सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में छगन भुजबल की एंट्री से डीसीएम अजित पवार नाराज हैं। भुजबल भले ही उनकी राकां पार्टी के विधायक हैं, लेकिन उन्हें मंत्री बनाने में सीएम देवेंद्र फडणवीस की बड़ी भूमिका है। यह बात खुद भुजबल खुले आम कह रहे हैं। अजित को इस बात का रंज है कि छगन भुजबल को मंत्री बनाने से पहले उनसे सलाह मशविरा नहीं किया गया।
ऐसे में उन्होंने सह्याद्री गेस्ट हाउस में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से अकेले मिल कर इस पर आपत्ति जताई। अजित चाहते हैं कि महायुति में एक लक्ष्मण रेखा’ तय होनी चाहिए, जिसके तहत गठबंधन में शामिल तीनों दल एक दूसरे के मामले में दखल न दें। सूत्रों के मुताबिक अजित ने अपने करीबी नेता धनंजय मुंडे को भी कहीं एडजस्ट करने की अपील की है।
ऐसी रिपोर्ट है कि उनकी जगह भुजबल को मंत्री बनाए जाने से मुंडे का मूड ऑफ है। उन्हें लग रहा है कि भुजबल की कैबिनेट में एंट्री के बाद उनकी सरकार में वापसी की राह और भी मुश्किल हो गई है।
2024 में विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद महायुति ने भारी बहुमत से सरकार का गठन किया था। अजित ने राकां की ओर से जिन मंत्रियों की लिस्ट भेजी थी, उसमें से भुजबल का नाम गायब था। उनके इस फैसले से सभी सकते में आ गए थे। भुजबल को भी इसका बड़ा सदमा लगा था। हालांकि इसके बावजूद वे पार्टी में बने रहे। इसी बीच बीड में मस्साजोग गांव के सरपंच की हत्या के मामले में मुंडे फंस गए और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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अजित की योजना थी कि सरपंच हत्याकांड की आग शांत होने के बाद वे एक बार फिर मुंडे की सरकार में एंट्री करा देंगे। लेकिन यहां राजनीति के माहिर खिलाड़ी भुजबल ने खेला कर दिया। उन्होंने इस खाली मंत्री पद पर कब्जा करने के लिए अपनी फील्डिंग लगा दी और उन्हें इस मिशन में सीएम फडणवीस का साथ भी मिल गया।