देवेंद्र फडणवीस-लक्ष्मण हाके-अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले ओबीसी नेता लक्ष्मण हाके, मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल के प्रबल विरोधी और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अजित पवार के बड़े मददगार बनकर उभरे थे। लेकिन अब वही हाके आश्चर्यजनक रूप से फडणवीस व अजित के बैरी बनते नजर आ रहे हैं। हाके पिछले कुछ दिनों से मुख्यमंत्री फडणवीस व डीसीएम अजित पर जोरदार हमला बोल रहे हैं।
हालांकि, उनके बदले व्यवहार के बारे में पूछे जाने पर अजित पवार की एनसीपी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष व सांसद सुनील तटकरे ने कहा कि मैं रात में चलने के दौरान लड़खड़ाने वालों की बातों को महत्व नहीं देता हूं।
महाराष्ट्र में महायुति को मराठा आंदोलन के कारण लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा था। इससे उत्साहित होकर मनोज जरांगे के नेता खासकर फडणवीस, प्रसाद लाड, अजित पवार व छगन भुजबल आदि पर सीधे व तीखे हमले बोल रहे थे। बाद में विधानसभा चुनाव 2024 से पहले अपना आंदोलन (उपोषण) तेज करके जरांगे ने महायुति की मुश्किलें बढ़ाने का प्रयास किया था। लेकिन उनके उपोषण शुरू करके हाके ने मनोज जरांगे के आंदोलन की हवा निकाल दी थी। हाके के आंदोलन की वजह से ओबीसी वोट महायुति को मिले और मनोज जरांगे की मेहनत पर पानी फिर गया था।
हाके का आरोप है कि महायुति के बड़े नेताओं ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वे धनगर और ओबीसी समाज के आरक्षण की समस्या को दूर करने में मदद करेंगे। चुनाव के बाद धनगर समुदाय के लिए एसटी की सहूलियतें लागू की जाएंगी। इसलिए धनगर समाज ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महायुति को वोट दिया था।
लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति सरकार राज्य की सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार ने अभी तक धनगर समाज को एसटी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश केंद्र से नहीं की है। तो वहीं वित्त मंत्री अजित पवार ने ओबीसी निगमों के लिए बजट में धन उपलब्ध नहीं कराया है। ऐसा कहते हुए हाके ने फडणवीस और अजित पर धनगर समाज के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया।
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इस पर अजित पवार गुट के सांसद व प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा, “आप ऐसे व्यक्ति को महत्व क्यों देते हैं, जो रात में चलते समय अपना संतुलन खो देता है?” उन्होंने कहा महाराष्ट्र में हाके, डाके, पडलकर जैसे लोगों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है।