मुलुंड डंपिंग ग्राउंड (pic credit; social media)
Mulund Dumping Ground: मनपा मुलुंड डंपिंग ग्राउंड का भविष्य तय करने के लिए बड़े कदम की तैयारी कर रही है। बंद हुए इस विशाल कचरा निपटान स्थल पर अब मनपा एक पर्यावरणीय विश्लेषण कराने जा रही है, ताकि भविष्य में यहां विकास कार्य सुरक्षित और स्थायी तरीके से किया जा सके।
अधिकारियों के अनुसार, इस कार्य के लिए एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त किया जाएगा। एजेंसी मिट्टी के नमूनों का प्रदूषण स्तर, भूजल, वायु गुणवत्ता और गैस उत्सर्जन की विस्तृत जांच करेगी। कुल 24 हेक्टेयर में फैले मुलुंड डंपिंग ग्राउंड में अब तक 70 लाख मीट्रिक टन कचरा हटाया जा चुका है, लेकिन अभी भी करीब 21 लाख टन कचरे को जैव-खनन प्रक्रिया से हटाना बाकी है।
भूमि के पुनः उपयोग के लिए कई सुझाव सामने आए हैं। स्थानीय विधायक मिहिर कोटेचा ने मुख्यमंत्री के साथ बैठक में यहां गोल्फ कोर्स बनाने का प्रस्ताव रखा, वहीं विधान परिषद सदस्य मिलिंद नार्वेकर ने अस्पताल बनाने का सुझाव दिया।
पर्यावरणीय विश्लेषण में मिट्टी के चार नमूने, भूजल के दो नमूने, वायु गुणवत्ता और गैस उत्सर्जन का परीक्षण शामिल होगा। मिट्टी की जांच में नमी, जैविक पदार्थ, राख, छिद्रता, सल्फेट, नाइट्रेट, कैल्शियम, निकेल सहित 39 मानक देखे जाएंगे। भूजल के 48 मानक जैसे गंध, रंग, पीएच, सीसा, जिंक और एल्यूमिनियम की जाँच की जाएगी।
वायु गुणवत्ता निगरानी में पीएम 10, पीएम 2.5, एसओ 2, एनओ 2 सहित 15 मानक शामिल होंगे। गैस उत्सर्जन जांच में मीथेन, बेंजीन, वीओसी और हाइड्रोजन सल्फाइड का परीक्षण किया जाएगा। इस अध्ययन की अनुमानित लागत 3 लाख रुपये है और इसे एक माह की अवधि में पूरा किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी को आवश्यक जनशक्ति और मशीनरी उपलब्ध करानी होगी। निविदा प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई है और वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अंतिम कार्यदिशा एक सप्ताह में जारी कर दी जाएगी।
मुलुंड डंपिंग ग्राउंड की यह योजना शहरवासियों के लिए अहम है। अगर यह अस्पताल बनता है तो स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार होगा, जबकि गोल्फ कोर्स बनना शहर में हरित और खेल क्षेत्रों की संभावनाओं को दर्शाएगा।