AI की मदद से पढ़ते बच्चे (AI Generated Photo)
AI Uses in Pre-Nursery: नागपुर जिले में वड़धामना आंगनवाड़ी में बच्चों को एआई के माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। जिला परिषद के एडिशनल सीईओ कमलकिशोर फुटाणे ने बताया कि नर्सरी के बच्चों को एआई और वीआर के माध्यम से शिक्षा देना एक आधुनिक और इंटरेक्टिव तरीका है जिसमें तकनीक का इस्तेमाल करके बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को और मज़ेदार और प्रभावी बनाया जाता है। वड़धामना आंगनवाड़ी में प्रायोगिक तौर पर इसे शुरू किया गया है। भविष्य में अन्य आंगनवाड़ियों में भी शुरू करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि एआई नर्सरी के बच्चों के स्तर और उनकी रुचि के हिसाब से पढ़ाई को अनुकूल बनाता है। अगर बच्चा किसी अक्षर को समझने में कठिनाई महसूस कर रहा है तो एआई उसे बार-बार सरल तरीके से समझाता है। बच्चे को एक खास चश्मा जिसे वीआर हेडसेट कहते हैं पहनाया जाता है। वीआर बच्चे को एक आभासी दुनिया में ले जाता है। उदाहरण के लिए बच्चे जंगल की सैर कर सकते हैं।
जानवरों को देख सकते हैं या रंग और आकार सीख सकते हैं। वे किसी डेयरी में जा सकते हैं और गाय कैसी होती है, वह दूध कैसे देती है आदि देख सकते हैं। जैसे कि वे असल में वहां हों। बच्चे मजेदार तरीके से अक्षर, अंक, एनिमल, रंग आदि सीखते हैं। एआई यह भी आकलन कर सकता है कि बच्चा कहां पर ज्यादा अच्छा कर रहा है और कहां पर मदद की जरूरत है।
जिला परिषद की शालाओं के डिजिटल होने के साथ ही अब आंगनवाड़ियों को भी डिजिटल किया जा रहा है। जिप सीईओ विनायक महामुनि ने बताया कि 60 आंगनवाड़ियों को डिजिटल किया जाएगा। इसके माध्यम से बच्चों को आधुनिक शिक्षा देने का प्रयास है। वहीं अनेक आंगनवाड़ियों की खुद की इमारतें नहीं हैं और कुछ जर्जर अवस्था में हैं।
19.50 करोड़ की लागत से 40 नये आंगनवाड़ी इमारत का निर्माण कार्य भी किया जाएगा। इसकी निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीपीसी फंड से 13.50 करोड़ रुपये और 15वें वित्त आयोग से 6 करोड़ की निधि मंजूर हुई है। नागपुर ग्रामीण में 3, हिंगना में 2, मौदा 3, उमरेड 5, भिवापुर 2, नरखेड़ 2, काटोल 4, सावनेर 4, कलमेश्वर 2, रामटेक में 4 और पारशिवनी तहसील में 4 नई इमारतें बनाई जाएंगी।
बता दें कि वर्ष 2023 में जिले की 102 मिनी आंगनवाड़ियों की इमारत निर्माण के लिए पहली बार राज्य सरकार की ओर से 45.15 करोड़ रुपये मिले थे। जिले में करीब 2500 आंगनवाड़ियों के साथ ही 270 के करीब मिनी आंगनवाड़ियां भी हैं। मिनी आंगनवाड़ियों की खुद की इमारतों के लिए पहले विधायक निधि व अन्य फंड से व्यवस्था होती थी लेकिन अब राज्य सरकार इसके लिए भी फंड दे रही है।
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ग्रामीण भागों में आंगनवाड़ी व मिनी आंगनवाड़ी के माध्यम से न केवल बच्चों की शुरुआती पढ़ाई बल्कि स्वास्थ्य पर ध्यान रखा जाता है। डिजिटलीकरण व एआई के माध्यम से बच्चों को अत्याधुनिक शिक्षा उनका आधार मजबूत करेगा। वे भी स्पर्धा के लिए तैयार हो सकेंगे। बच्चों व गर्भवती महिलाओं को पोषण आहार भी यहीं से दिया जाता है। आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण से सुविधाओं का लाभ उन क्षेत्र के नागरिकों को निश्चित तौर पर होगा।
– विनायक महामुनि, सीईओ, जिला परिषद नागपुर