न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक (सौजन्य-सोशल मीडिया)
New India Co-Operative Bank Scam: न्यू इंडिया सहकारी बैंक में कथित तौर पर 122 करोड़ रुपये के गबन मामले में यहां की अदालत ने पूर्व महाप्रबंधक हितेश मेहता को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि मामला ‘बहुत बड़ी’ राशि से जुड़ा है और याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर आरोप हैं।
बैंक के पूर्व महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख मेहता पांच सालों में बैंक के 122 करोड़ रुपये के कथित गबन के मामले में मुख्य संदिग्ध हैं। अतिरिक्त। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एस्प्लेनेड अदालत) अभिजीत आर सोलापुरे ने मेहता की जमानत याचिका खारिज कर दी।
अदालत ने कहा कि आरोपपत्र के अनुसार, यह आरोपी नकदी लेने और उसे अन्य आरोपियों को हस्तांतरित करके खर्च करने में सहायक रहा है।’ आरोपपत्र में समग्र अपराध में आरोपी की भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। जमानत के लिए मेहता की दलीलों में ‘प्राथमिकी दर्ज करने में अस्पष्ट विलंब शामिल था।
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मेहता ने अपने वकील के माध्यम से दलील दी कि 14 फरवरी, 2025 की एक हलफनामे पर उनसे कथित तौर पर अपना अपराध स्वीकार करवाया गया था, जो स्वैच्छिक नहीं था और इसलिए सबूत के तौर पर अस्वीकार्य है। बचाव पक्ष ने दावा किया कि मेहता पर लाई डिटेक्टर टेस्ट करते समय उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया गया था, इसलिए इसके परिणाम को अस्वीकार्य घोषित किया जाना चाहिए, हालांकि, अदालत ने कहा कि मामले में मेहता की संलिप्तता दिखाने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत मौजूद है, भले ही इस स्तर पर ‘ऐसे परीक्षणी के परिणामों को नजरअंदाज कर दिया गया हो