घाटकोपर ट्रैफिक जाम (pic credit; social media)
Ghatkopar Traffic Jam: घाटकोपर पश्चिम में ट्रैफिक जाम की समस्या को लेकर फेरीवालों और प्रशासन के बीच टकराव बढ़ गया है। फेरीवालों का कहना है कि उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया जा रहा है जबकि असली वजह बेस्ट बसों के अतिरिक्त रूट और अवैध ऑटो स्टैंड हैं। इसी मुद्दे को लेकर रिपब्लिकन हॉकर्स यूनियन ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर मदद मांगी है।
रिपब्लिकन हॉकर्स यूनियन के महासचिव हुसैन भाई ने बताया कि आजीविका चलाने के लिए गरीब, बेरोजगार, महिलाएं और बुजुर्ग फुटपाथ पर दुकान लगाते हैं। लेकिन आए दिन मनपा और पुलिस कार्रवाई कर उन्हें परेशान कर रही है। यूनियन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश और पथ विक्रेता अधिनियम 2014 के तहत मुंबई में 1.28 लाख फेरीवालों का सर्वेक्षण हुआ था, जिसमें से 1.06 लाख को पात्रता सूची में डाला गया। बावजूद इसके, सिर्फ 22 हजार को ही मान्यता मिली। घाटकोपर में 1512 फेरीवालों को पात्र माना गया है और एमजी रोड पर 111 को जगह दी गई है।
फेरीवालों का कहना है कि एमजी रोड स्टेशन से उनकी दुकानें 200 मीटर से ज्यादा दूर हैं। इसके बावजूद राजनीतिक दबाव और शिकायतों के चलते कार्रवाई की जाती है। असलियत यह है कि ट्रैफिक जाम की मुख्य वजह बेस्ट बसों का नया रूट और स्टेशन रोड से हटाकर एमजी रोड पर शिफ्ट किया गया ऑटो स्टैंड है। फेरीवालों ने बताया कि पहले एमजी रोड पर सिर्फ 384, 507 और 389 बस रूट चलते थे, लेकिन मेट्रो शुरू होने के बाद यहां और बसें चलाई गईं। इसका सीधा असर सेंटर स्टोर जंक्शन और गोपाल लेन जंक्शन पर पड़ता है।
फेरीवालों ने सीएम से गुहार लगाई है कि उन्हें धंधा करने की स्थायी अनुमति दी जाए और सड़कों पर स्पष्ट मार्किंग की जाए। यूनियन का कहना है कि वे ट्रैफिक का ध्यान रखते हुए व्यापार करते हैं, लेकिन बार-बार कार्रवाई से उनका जीवनयापन प्रभावित हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि समस्या का स्थायी हल निकाला जाए, बेस्ट के रूट पर पुनर्विचार किया जाए और अवैध ऑटो स्टैंड हटाए जाएं। फेरीवालों का साफ कहना है कि ट्रैफिक जाम की आड़ में उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि मूल समस्या कहीं और है।