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-अनिल चौहान
भायंदर: भायंदर पश्चिम में मूर्धा और राई गांव (Murdha and Rai Village) के मध्य प्रस्तावित मेट्रो कारशेड (Metro Carshed) का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। जमीन अधिग्रहण (Land Acquisition) पर स्थगित होने के बीच राज्य सरकार के नगर विकास विभाग ने मेट्रो कारशेड के लिए मीरा-भायंदर महानगरपालिका (Mira-Bhayander Municipal Corporation) की नई डेवलपमेंट प्लान (डीपी) में उक्त जमीन आरक्षित करने की अधिसूचना जारी की है, जिससे किसान (Farmers) आक्रोशित हो उठे हैं।
भूमिपुत्र सामाजिक समन्वय समिति के अध्यक्ष और पूर्व उपनगराध्यक्ष अशोक पाटिल ने इसका सख्त विरोध किया है और आंदोलन के साथ ही कोर्ट में जाने की चेतावनी भी दी है। पाटिल ने कहा कि सरकार में शामिल नेताओं का दोहरी भूमिका समझ से परे है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जब महाविकास आघाडी सरकार में नगर विकास मंत्री थे, तब उन्होंने मेट्रो कारशेड के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत मंगाए गए आक्षेप और सुझाव की सुनवाई पर स्थगिति दी थी। अब जब वे राज्य के मुख्यमंत्री हैं, तब उनके अधीन काम करने वाला मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) उनकी जमीन मेट्रो कारशेड के लिए आरक्षित करने की अधिसूचना निकाल दी है।
उल्लेखनीय है कि मेट्रो कॉरिडोर 9, 2 और 7 के लिए राई-मूर्धा गांव की तकरीबन 32 हेक्टेयर कृषि भूमि पर मेट्रो कारशेड प्रस्तावित है, लेकिन शुरू से ही स्थानीय ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। विरोध को स्थानीय शिवसेना-बीजेपी का समर्थन भी है। छह माह की चुप्पी के बाद कारशेड के लिए प्रस्तावित की गई जमीन पर आरक्षण डालने की अधिसूचना सरकार ने जारी की है और किसानों को आक्षेप और सुझाव दर्ज कराने के लिए एक माह का समय दिया है। किसानों का तर्क है उनकी जगह पर मेट्रो कारशेड बना तो उनकी आजीविका छिन जाएगी। किसान नेता अशोक पाटिल ने कहा कि स्थानीय विधायक गीता जैन की भूमिका पूरे मामले में अस्पष्ट और संदिग्ध बनी हुई है।