मेट्रो कार शेड को लेकर असमंजस बरकरार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Thane News: भाईंदर पश्चिम में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड वास्तव में कहां बनेगा? यह सवाल फिलहाल अनुत्तरित है। एमएमआरडीए द्वारा उत्तन के डोंगरी क्षेत्र की सर्वे नं. 19 की सरकारी ज़मीन पर मेट्रो कार शेड बनाने की योजना बनाई गई है, लेकिन पर्यावरणविदों के विरोध और ज़मीन मालिकों के वैकल्पिक प्रस्ताव के चलते सरकार की भूमिका अब भी अस्पष्ट बनी हुई है. इससे आम नागरिकों में गहरी उलझन और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
एमएमआरडीए ने दहिसर-गुंदवली (मेट्रो 7) और दहिसर-भाईंदर (मेट्रो 9) परियोजना के लिए कार शेड की ज़रूरत बताई थी। शुरुआत में इसके लिए भाईंदर के मुर्धा, राई और मोरवा गांव की 38 हेक्टेयर ज़मीन का चयन हुआ, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण योजना बदलनी पड़ी। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश पर एमएमआरडीए ने विकल्प तलाशा और उत्तन (डोंगरी) में 59 हेक्टेयर सरकारी ज़मीन को चयनित की गई।
इस स्थान पर कुछ घर और पूजा स्थल प्रभावित हो रहे हैं। स्थानीय मांग के अनुसार पूजा स्थलों को जस का तस रखने और प्रभावित घरों को मुआवज़ा देने पर सरकार ने सहमति भी जताई. एमएमआरडीए ने यह भी सुझाव दिया कि कार शेड का नाम उस धार्मिक स्थल के नाम पर रखा जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा विवाद 12,000 से अधिक पेड़ों की कटाई को लेकर खड़ा हुआ, जिस पर पर्यावरण प्रेमियों का संगठन लामबंद हो गए।
डोंगरी में बढ़ते विरोध को देखते हुए खोपरा गांव के ज़मीन मालिक आगे आए। उन्होंने लगभग 100 एकड़ निजी भूमि पर कार शेड बनाने का प्रस्ताव दिया है। उनका दावा है कि इस भूमि पर कार शेड बनने से कोई पेड़ नहीं काटना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि अधिग्रहित ज़मीन का मुआवज़ा रेडी रेकनर रेट के आधार पर दिया जाए।
ज़मीन मालिकों ने इस प्रस्ताव को एक ज्ञापन के रूप में परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक के माध्यम से उपमुख्यमंत्री एवं शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे को सौंपा है। शिंदे ने प्रस्ताव को आगे की जांच के लिए एमएमआरडीए को भेज दिया है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
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एक ओर पर्यावरणविद और स्थानीय नागरिक डोंगरी की सरकारी ज़मीन पर पेड़ काटने का विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खोपरा गाँव के ज़मीन मालिक कार शेड के लिए अपनी निजी ज़मीन देने को तैयार हैं। बावजूद इसके, सरकार ने अभी तक स्पष्ट निर्णय नहीं लिया है कि कार शेड कहां बनेगा।
सरकार और एमएमआरडीए की असमंजसपूर्ण भूमिका ने स्थानीय नागरिकों को दुविधा में डाल दिया है। क्या मेट्रो कार शेड डोंगरी की सरकारी ज़मीन पर बनेगा? या फिर खोपरा गांव की निजी ज़मीन पर? इन सवालों के जवाब न मिलने से आम जनता और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में बेचैनी बनी हुई है। यह पूरा मामला अभी भी विचाराधीन है।अंतिम निर्णय आने तक स्थानीय लोगों के बीच असमंजस और विरोध की स्थिति जारी रहने की संभावना है।