
मुंबई: यात्रियों की सुविधा के लिए मुंबई के रेलवे स्टेशनों (Mumbai Railway Stations) पर लगाए गए एस्केलेटर (Escalators) के अचानक बंद होने की घटनाएं बढ़ गईं हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में मुंबई (Mumbai) के उपनगरीय स्टेशनों पर एस्केलेटर का उपयोग तेजी से बढ़ा है। मध्य रेलवे (Central Railway) के मुंबई डिवीजन में करीब 150 एस्केलेटर हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि रेलवे स्टेशनों पर 90 प्रतिशत एस्केलेटर बंद पड़ रहे हैं, इसके पीछे ज्यादातर यात्री द्वारा पैनिक या इमरजेंसी बटन दबाना है।
कई बार वरिष्ठ यात्री, महिला या बच्चों द्वारा घबराहट या अनजाने में पैनिक बटन दबा दिए जाने से एक्सेलेटर रुक जाता है। एक बार एस्केलेटर रुक जाने पर उसे शुरू करने के लिए तकनीकी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। एस्केलेटर को फिर से शुरू करने के लिए तकनीशियन को बुलाना पड़ता है।
कुछ स्टेशनों पर पैनिक बटन एस्केलेटर की शुरुआत में स्थित है और कुछ में इमरजेंसी बटन रेलिंग के बगल में होता है ताकि आपात स्थिति में एस्केलेटर को रोका जा सके, लेकिन इसका व्यापक रूप से दुरुपयोग होता है। पैरों के स्तर पर होने से कुछ शरारती तत्व पैनिक बटन के साथ छेड़छाड़ करते हैं।
मध्य रेलवे मुंबई मंडल के डीआरएम रजनीश गोयल ने कहा कि कई बार यात्री अनजाने में या मनोरंजन के लिए एस्केलेटर रेलिंग के साथ आपातकालीन पैनिक बटन दबा देते हैं, इससे एस्केलेटर रुक जाता है। डीआरएम गोयल ने कहा कि एक नई तकनीक पर काम किया जा रहा है, ताकि एस्केलेटर रुकने पर उसकी केबिन में नीचे जाकर काम करने की जरूरत न हो। एस्केलेटर की शुरुआत में स्टॉप बटन होता है।जब भी एस्केलेटर रुकता है, तो इसे फिर से शुरू करने के लिए एस्केलेटर के नीचे के हिस्से को खोलना पड़ता है, इसमें काफी समय लगता है और लोगों को लगता है कि जैसे एस्केलेटर बंद ही पड़ गया है। इससे बचने के लिए एक तकनीक तैयार की जा रही है। गोयल ने कहा कि जल्द ही इसका इस्तेमाल करेंगे।
डीआरएम गोयल ने कहा कि सीआर मुंबई मंडल पर और एस्केलेटर लगाने की योजना बनाई गई है। मुंबई डिवीजन में करीब 150 एस्केलेटर हैं। मुलुंड, विक्रोली, दिवा और मुंब्रा जैसे स्टेशनों पर और एस्केलेटर लगाने की योजना पर काम हो रहा है।






