रावण दहन (सौ. सोशल मीडिया )
Mumbai News In Hindi: सत्य पर विजय का प्रतीक दशहरा पर्व शहर भर में धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान शहर के कई प्रमुख स्थानों पर रावण के पुतले फूंके गए। रावण दहन के साथ ही मैदान जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठे।
हजारों की संख्या में लोग मेला देखने के लिए पहुंचे। लोगों की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। मैदान में खड़े पुतलों के सामने लोग सेल्फी लेते नजर आए। बच्चों में रावण के पुतलों को लेकर खासा उत्साह बना हुआ था।
विभिन्न रामलीला कमेटियों की ओर से भी दशहरा पर्व की तैयारियां बड़े ही व्यवस्थित ढंग से की गई थीं। धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ दशानन व उसके कुनबे का अंत कर दिया गया। रंग-बिरंगी आतिशबाजी लोगों के विशेष आकर्षण का केंद्र रही। दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी के किनारे आयोजित रामलीला काफी प्रसिद्ध है।
श्री आदर्श रामलीला समिति द्वारा आयोजित रामलीला का समापन रावण दहन के साथ किया गया। समिति द्वारा यहां लगातार 62 वर्षों से रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। गिरगांव चौपाटी पर रावण के पुतले का दहन का आयोजन प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से बड़े धूमधाम से किया गया। यहां रावण का 50 फीट ऊंचा पुतला लगाया गया था, श्री आदर्श रामलीला समिति की ओर से आयोजित दशहरा मेले में हजारों की संख्या में लोग मेला देखने के लिए पहुंचे थे।
विक्रोली पश्चिम पार्क साईट में स्थित छत्रपति शिवाजी मैदान में रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया था। यहां श्री रामलीला उत्सव समिति द्वारा 59 वर्षों से रामलीला आयोजन किया जा रहा है। इसी प्रकार घाटकोपर पश्चिम न्यू माणिकलाल इस्टेट और घाटकोपर पूर्व आचार्य अत्रे मैदान में भी रावण दहन का भव्य आयोजन किया गया था। उक्त सभी स्थानों पर आयोजित रावण दहन देखने के लिए हजारों की संख्या में पहुंचकर लोगों ने मेले का आनंद उठाया। रामलीला मैदानों में रंग-बिरंगी आतिशबाजी लोगों के विशेष आकर्षण का केंद्र रही और लोगों ने विजयादशमी धूमधाम से बनाई गई।
ये भी पढ़ें :- BMC की मुहिम रंग लाई: अगस्त-सितंबर में मानसूनी बीमारियों में कमी
मुंबई में चल रही रामलीला का मंचन कलाकारों के माध्यम से किया जा रहा है। रामलीला के अंतिम दिन राम-रावण युद्ध का मंचन किया गया। कई बार प्रयास के बाद भी जब रावण नहीं मर सका तो राम ने विभीषण की तरफ देखा। विभीषण ने बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। यह जानकर राम ने रावण की नाभि में तीर मारा। तीर लगते ही रावण धराशायी होकर जमीन पर गिर पड़ा। रावण के गिरते ही जय श्री राम के नारे गूंजने लगे।