धनंजय मुंडे और पंकजा मुंडे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर मंत्री पद हासिल करने वाले अब ध्यान में विलीन हो गए है। महाराष्ट्र चुनाव के बाद धनंजय मुंडे को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन पर कई आरोप लगे, जिसके बाद उनसे मंत्री पद भी छीन लिया गया। इतना ही नहीं तो वे अपनी पहली पत्नी के साथ भी एलीमनी मामले में फंसते चले गए, जहां कोर्ट ने भी धनंजय मुंडे को फटकार लगा दी।
धनंजय मुंडे के जीवन में एक के बाद एक आए इस तूफान के बाद अब धनंजय मुंडे ने विपश्यना का मार्ग चुन लिया है। उनके इस फैसले का पंकजा मुंडे ने भी समर्थन किया है। महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने विपश्यना का ‘सही मार्ग’ चुनने के लिये अपने चचेरे भाई और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता धनंजय मुंडे का समर्थन किया।
धनंजय मुंडे को बीड के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या मामले में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। संतोष देशमुख हत्याकांड मामले में धनंजय मुंडे को लेकर उठे राजनीतिक विवाद के बीच मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था। धनंजय मुंडे पिछले आठ दिनों से इगतपुरी में ध्यान शिविर में भाग ले रहे हैं।
पंकजा मुंडे ने हाल ही में पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ धनंजय मुंडे ने सही विकल्प चुना है। अगर इससे उन्हें मानसिक शांति मिलती है, तो यह सही कदम है।” देशमुख हत्याकांड के आरोपी वाल्मिक कराड के साथ संबंधों के गंभीर आरोपों के बीच धनंजय मुंडे ने फरवरी में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
वह अपनी पूर्व साथी के दावों के बाद एक निजी संकट से भी जूझ रहे हैं, जिसने दावा किया है कि वह उनकी पहली पत्नी है। धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद, उनके पास जो विभाग था, उसे राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को सौंप दिया गया है। धनंजय मुंडे को मिला मंत्री के तौर पर मिला बंगला भी छगन भुजबल को दे दिया गया। जीवन में आई इस उथल-पुथल के बाद उन्होंने ध्यान का मार्ग अपना लिया।
(एजेंसी इनपुट के साथ)