महाराष्ट्र में साइबर ठगी (pic credit; social media)
Cyber Fraud: देश में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है और महाराष्ट्र में यह जाल और खतरनाक बन गया है। साइबर ठग IPS अधिकारियों के नाम और चेहरे का इस्तेमाल कर लोगों को डराते हैं और लाखों रुपये ठग लेते हैं।
हालिया मामले में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में साइबर ठगों ने IPS अधिकारी विश्वास नांगरे पाटिल का फर्जी AI वीडियो कॉल बनाकर एक व्यक्ति से 78 लाख रुपये की ठगी की। ठगों ने पीड़ित को डराते हुए बताया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामले में फंस गया है और अगर उसने उनकी बात नहीं मानी तो उसे गंभीर कार्रवाई झेलनी पड़ेगी।
मुंबई पुलिस के जोन 4 की डीसीपी रागसुदा आर ने बताया कि इसी तरह का मामला सामने आया, जिसमें 75 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक और आदित्य बिड़ला ग्रुप के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर को कश्मीर के हालिया आतंकी हमले की जांच में नाम आने का झूठा डर दिखाकर 70 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। ठगों ने खुद को NIA चीफ और सीनियर IPS अधिकारी बताते हुए यह रकम ऐंठी।
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नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भराम्बे ने बताया कि “डिजिटल अरेस्ट कानून में नहीं है। अगर कोई ऐसा कहे, तो तुरंत कॉल काट दें। साइबर ठग IPS अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करके डराते हैं ताकि लोग उनके निर्देश मान लें और उनके बैंक अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर दें।”
डीसीपी रागसुदा ने कहा कि ठग कभी-कभी खुद को कस्टम अधिकारी या ATS अधिकारी भी बताते हैं। उनका मकसद यही है कि पीड़ित डर जाए और अपनी रकम ट्रांसफर कर दे। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि इस तरह के कॉल में फंसने से बचें और तुरंत पुलिस हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।
पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम में तकनीक का खतरनाक इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
इस तरह के मामलों ने साफ कर दिया है कि साइबर अपराध अब केवल ऑनलाइन ठगी नहीं है, बल्कि लोगों को डराने और आतंकित करने की रणनीति भी अपनाई जा रही है। पुलिस और साइबर सेल लगातार इस तरह के अपराधियों को पकड़ने में लगी हुई है और नागरिकों से सतर्क रहने की अपील कर रही है।