संजय राउत (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: मुंबई महापालिका चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपनी रणनीति साफ कर दी है। पार्टी अब किसी गठबंधन के बजाय ‘एकला चलो रे’ की नीति पर चलेगी। सांताक्रूज के गैलेक्सी होटल में सोमवार को हुई अहम बैठक में महाराष्ट्र प्रभारी के.सी. वेणुगोपाल, प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़, भाई जगताप और ज्योति गायकवाड़ जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
बैठक में लगभग सभी नेताओं ने एकमत से कहा कि उद्धव ठाकरे गुट के साथ युति का फायदा कांग्रेस को नहीं, बल्कि सिर्फ शिवसेना को मिलता है। इसलिए इस बार कांग्रेस अपने दम पर मैदान में उतरेगी।
नेताओं ने साफ कहा कि अगर ठाकरे बंधुओं से गठबंधन किया गया तो अल्पसंख्यक मतदाता नाराज हो सकते हैं और पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस ने मनसे को लेकर भी ‘नो कॉम्प्रोमाइज’ का रुख अपनाया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली स्तर पर मनसे को महाविकास आघाड़ी में शामिल करने पर चर्चा जरूर चल रही है, लेकिन महाराष्ट्र कांग्रेस इस फैसले के सख्त खिलाफ है।
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बैठक में नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के मतदाता उद्धव गुट को वोट देते हैं, पर बदले में कांग्रेस को उनकी वोटबैंक से कोई लाभ नहीं मिलता। ऐसे में आगामी मुंबई महापालिका चुनाव में किसी भी सीट पर ‘मैत्रीपूर्ण’ मुकाबला नहीं होगा। कांग्रेस पूरी ताकत के साथ अकेले चुनाव लड़ेगी।
उधर, शिवसेना (उद्धव गुट) के वरिष्ठ नेता संजय राऊत ने कहा कि मनसे प्रमुख राज ठाकरे चाहते हैं कि कांग्रेस को भी महाविकास आघाड़ी में शामिल किया जाए। हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह सिर्फ राय है, कोई अंतिम फैसला नहीं।
कांग्रेस के इस “अकेले चलने” वाले ऐलान ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। अब सवाल ये है कि क्या महाविकास आघाड़ी वाकई टूट के कगार पर पहुंच चुकी है या कांग्रेस सिर्फ अपनी ताकत आज़माने के लिए यह दांव चला रही है।