राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले (pic credit; social media)
CM Baliraja Panand Rasta scheme: खेतों से कृषि उपज को गांव तक पहुंचाने तथा गांवों से खाद-बीज औजार आदि को खेतों तक ले जाने के लिए किसानों की सहमति से बनाई गई कच्ची पगडंडियों, उथले रास्तों को परिवहन योग्य मार्ग बनाने के लिए महाराष्ट्र की महायुति सरकार खासा जोर दे रही है। मंगलवार सहयाद्री अतिथि गृह में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बलिराजा पाणंद सड़क’ (मुख्यमंत्री किसान कृषि सड़क) नामक एक नई योजना की घोषणा की गई है।
राजस्व मंत्री ने आगे कहा कि बैठक में विधानसभा के विधायकों की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने और इन सड़कों के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि से धनराशि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया भी गया है। इसके लिए एक अलग खाता शीर्ष बनाया जाएगा। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री जयकुमार गोरे, रोजगार गारंटी एवं बागवानी मंत्री भरत गोगावले, वित्त एवं योजना राज्य मंत्री आशीष जायसवाल सहित समिति के सदस्य सांसद और विधायक उपस्थित थे।
राजस्व मंत्री बावनकुले ने कहा कि यह योजना आम किसानों के जीवन में क्रांति लाएगी। यदि किसान के खेतों तक सड़क, बिजली और पानी पहुंच जाए, तो उसके लिए अपना माल बाजार तक पहुंचाना संभव हो जाएगा। इसके लिए सरकार ने इस योजना को प्राथमिकता दी है और इस योजना के क्रियान्वयन हेतु 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक कार्य किया जाना है। इसके लिए सबसे पहले सीमांकन करना आवश्यक है और सभी विधायक इस संबंध में विशेष ध्यान दें और सभा पाणंद सड़कों (पानी बहने वाले उथले मार्गों) को मानचित्र पर लाएं।
यह मानचित्र अगले एक महीने के भीतर गांवों में प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी आशा व्यक्त की कि विभिन्न 13 योजनाओं के माध्यम से इन सड़कों के लिए धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
इस योजना के कार्य हेतु विधायक की अध्यक्षता में निर्वाचन क्षेत्रवार समिति का गठन किया जाएगा। समिति में प्रांतीय अधिकारी सदस्य सचिव के रूप में और तहसीलदार, संकुल विकास अधिकारी, भू-अभिलेख अधिकारी, तालुका कृषि अधिकारी और वन विभाग के अधिकारी शामिल होंगे।
पहले छह महीनों में सड़कों का सीमांकन करना आवश्यक है। इसके बाद, अगले छह महीनों में गांव का मानचित्र तैयार करके गांव में प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने सड़कों की गुणवत्ता पर जोर देते हुए अच्छी मिट्टी और मुरूम का उपयोग करने का सुझाव दिया।
इस योजना के लिए मनरेगा और 13 अन्य विभिन्न योजनाओं से धन उपलब्ध कराया जाएगा। सीएसआर निधियों के उपयोग के लिए प्रांतीय प्रशासक का एक विशेष खाता बनाया जाएगा। एक किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों को वीआर नंबर देने का प्रस्ताव भेजा जाएगा।