पीओपी की मूर्ति पर फैसला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: मुंबई समेत राज्य के गणेशोत्सव मंडलों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। फडणवीस सरकार प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए नई नीति लाने की तैयारी कर रही है। सरकार इस सप्ताह प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए नई नीति की घोषणा कर सकती है। इसके चलते लालबागचा राजा, मुंबईचा राजा जैसे प्रतिष्ठित मंडलों समेत कई गणेश मंडलों ने इस ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने पीओपी की मूर्तियों पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है, जिससे मूर्तिकारों और गणेश मंडलों में खुशी का माहौल है। इसी पृष्ठभूमि में सरकार मूर्ति विसर्जन के लिए नई नीति पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार, ऊंची पीओपी मूर्तियां मंडलों द्वारा स्थापित की जाएंगी और नीति में लालबागचा राजा और मुंबईचा राजा जैसे मंडलों को विशेष रियायतें प्रदान की जाएंगी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हालांकि पीओपी की मूर्तियों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दे दी है, लेकिन प्राकृतिक जल निकायों में उनके विसर्जन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसी मूर्तियों को केवल कृत्रिम झीलों में ही विसर्जित करना होगा। कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर एक समिति गठित करने और विस्तृत उपाय प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है।
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बड़ी मूर्तियों के संबंध में, मंडल हर वर्ष केवल एक मूर्ति के उपयोग के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में, राज्य सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जो मूर्तिकारों, मंडलों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखे। इस निर्णय से घरेलू गणपति और सार्वजनिक समारोहों के लिए पीओपी की मूर्तियां बनाने में कोई बाधा नहीं आएगी। हालाँकि, इको-फ्रेंडली विसर्जन की शर्तों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा। यह मूर्तिकारों के लिए बड़ी राहत है।