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मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कोर्ट ने कहा-दाखिल जनहित याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं

Maratha reservation: मराठा आरक्षण पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि, जनहित याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

  • By पूजा सिंह
Updated On: Sep 18, 2025 | 06:50 PM

बॉम्बे हाईकोर्ट (सौजन्य सोशल मीडिया)

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Bombay High Court: गुरूवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह साफ कर दिया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने के फैसले के खिलाफ दाखिल जनहित याचिकाएं सुनवाई योग्य नहीं हैं। कोर्ट का कहना है कि, याचिकाकर्ता असली पीड़ित पक्ष नहीं हैं, बल्कि ओबीसी वर्ग असली पीड़ से आने वाले लोगों ने इस फैसले को चुनौती दी है, जिनकी याचिकाओं पर 22 सितंबर को सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति (ओबीसी श्रेणी के लोग) पहले ही उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर कर चुके हैं, जिस पर 22 सितंबर को एक अन्य पीठ सुनवाई करेगी। अदालत ने कहा, ‘‘इस स्तर पर ये जनहित याचिकाएं ठीक नहीं हैं। यह विकल्प (सरकारी फैसले को चुनौती देने का) पीड़ित पक्ष के लिए है, हर किसी के लिए नहीं।”

‘याचिकाकर्ता पीड़ित पक्ष नहीं हैं’

पीठ ने कहा कि ‘‘कानून में दुर्भावना का मुद्दा केवल पीड़ित पक्ष ही उठा सकता है” और ये याचिकाकर्ता पीड़ित पक्ष नहीं हैं। अदालत ने कहा कि जनहित याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए। उसने कहा कि अगर याचिकाकर्ता चाहें तो वे पीड़ित पक्ष द्वारा दायर याचिकाओं के साथ ही आवेदन दायर कर सकते हैं। उसने कहा, ‘‘अगर दूसरी पीठ को लगता है कि उसे इन याचिकाकर्ताओं की सहायता की आवश्यकता है, तो वह उनकी सुनवाई का फैसला कर सकती है।”

ये भी पढ़ें : ‘राहुल वोट चोरी के बादशाह हैं’, आरोपों पर बरसे केशव उपाध्याय, ‘उन्हें माफी मांगनी चाहिए…’

उच्च न्यायालय ने आज दोपहर को इस मामले पर सुनवाई की और उसने जनहित याचिकाकर्ताओं को यह बताने के लिए कहा कि वे क्या करना चाहते हैं। उच्च न्यायालय में अब तक तीन जनहित याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें सरकार के उस आदेश (जीआर) को चुनौती दी गई है, जिसके तहत मराठा समुदाय के सदस्यों को आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने का निर्णय लिया गया है। याचिकाओं में दावा किया गया है कि सरकार का यह फैसला मनमाना, असंवैधानिक और कानून के विरुद्ध है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। बाद में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के व्यक्तियों द्वारा सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए चार याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं पर सोमवार को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी।

Bombay high court delivers verdict on maratha reservation court says all petitions challenging maratha reservation are baseless

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Published On: Sep 18, 2025 | 06:50 PM

Topics:  

  • Bombay High Court
  • Maratha Reservation
  • Mumbai

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