वसई-विरार पूर्व नगर आयुक्त अनिल पवार (pic credit; social media)
Anil Pawar Construction Scam: वसई-विरार शहर में 41 अवैध इमारतों के निर्माण और उससे जुड़े निर्माण घोटाले में गिरफ्तारी के बाद अब पूर्व नगर आयुक्त अनिल कुमार पवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें पवार और अन्य अधिकारियों द्वारा दी गई रिश्वत की सूची भी सौंपी गई है।
शिकायत दर्ज कराने वाले पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष सुदेश चौधरी ने मांग की है कि पवार द्वारा अर्जित अवैध संपत्ति और धन की गहन जांच की जाए। साथ ही उनके स्थानांतरण के दौरान दिए गए निर्माण परमिट, अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) और अन्य विभागीय भुगतान की भी छानबीन की जाए।
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पवार, तत्कालीन शहरी नियोजन उप निदेशक वाई.एस. रेड्डी, भू-माफिया सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता को गिरफ्तार किया था। ईडी ने 334 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया जिसमें बताया गया कि पवार ने शहरी नियोजन निदेशक से 17.85 करोड़ रुपये नकद लिए थे। उनके एक रिश्तेदार को दादर स्थित कार्यालय में 3.37 करोड़ रुपये दिए गए।
वित्तीय जांच में सामने आया कि पवार का रिश्वत का रेटकार्ड (मेन्यू कार्ड) भी था। इसमें आयुक्त की फीस 25–30 रुपये प्रति वर्ग फुट, सहायक निर्देशक 20 रुपये, कनिष्ठ निरीक्षण अभियंता 7 रुपये प्रति वर्ग फुट और अन्य अधिकारियों की तय दरें शामिल थीं।
भ्रष्टाचार निरोधक विभाग पहले ही वाई.एस. रेड्डी के खिलाफ मामला दर्ज कर चुका है। रेड्डी के घर से 29 करोड़ रुपये का सोना और नकदी मिली थी। अब पवार के खिलाफ शिकायत दर्ज होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले में गहन जांच और कानूनी कार्रवाई कर रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कार्रवाई जिले में भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त संदेश है और भविष्य में अन्य अधिकारियों के लिए चेतावनी का काम करेगी।