अबू आजमी (pic credit; social media)
Mumbai News: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आजमी ने शुक्रवार को मुंबई भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अमित साटम के उस बयान पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर किसी विपक्षी दल की सरकार आई, तो मुंबई का मेयर खान होगा और यहां की सभी सड़कों का नाम मोहम्मद अली रोड होगा।
अबू आजमी ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मेरी सबसे पहली कोशिश है कि मुंबई मेयर की जिम्मेदारी किसी भाजपा को नहीं मिले, क्योंकि ये लोग सिर्फ सांप्रदायिकता की राजनीति करना जानते हैं। इन लोगों ने हमेशा से ही लोगों के बीच में धर्म को लेकर राजनीति की है। अब ये लोग महाराष्ट्र की राजनीति में समाजवादी पार्टी के बढ़ते वर्चस्व से भी घबरा गए हैं, इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक हजार सालों तक मुस्लिमों का शासन इस देश में रहा, लेकिन कभी भी हमारे यहां पर हिंदू-मुस्लिम के बीच नफरत देखने को नहीं मिली। इतिहास गवाह है कि हिंदू-मुस्लिम हमेशा साथ रहे। जब-जब भी जरूरत पड़ी तो मुस्लिम समाज ने देश के अंदर भी और सरहद पर भी अपना बलिदान दिया। चाहे आजाद हिंद फौज हो या चीन के खिलाफ लड़ाई, मुस्लिम समाज के योगदान के उदाहरण मौजूद हैं।
अबू आजमी ने कहा कि इन लोगों को देशभक्ति पर किसी भी प्रकार का बयान देने का कोई हक नहीं है। इन लोगों ने हमेशा से ही इस देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच में नफरत फैलाने का काम किया है।
इसके अलावा, सपा नेता ने अपने उस बयान पर भी स्पष्टीकरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर मुंबई मेयर कोई मुस्लिम बनेगा, तो विकास की गति दोगुनी होगी। इस पर उन्होंने कहा कि मेरा कहने का मतलब यह था कि अगर कोई सच्चा मुस्लिम मेयर पद की कमान संभालेगा, तो निश्चित तौर पर वो भ्रष्टाचार नहीं करेगा। उसे जितना भी पैसा विकास से संबंधित कार्यों में लगाने के लिए आवंटित होगा, उसे वो पूरी तरह से विकास में लगाएगा। राजीव गांधी ने खुद एक बार कहा था कि वो विकास से संबंधित कार्यों के लिए 100 रुपये भेजते हैं, तो आम जनता तक सिर्फ 15 रुपये ही पहुंच पाते हैं, शेष 85 रुपये बिचौलिए खा जाते हैं।
साथ ही, उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के उस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा था कि इस देश के सभी धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रगान बजना चाहिए।
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अबू आजमी ने कहा कि ऐसे लोग सिर्फ मीडिया में रहने के लिए ऐसे बयान देते हैं, जिनकी कोई प्रासंगिकता ही नहीं है। अब जरा आप मुझे बताइए कि जब मंदिर में पूजा हो रही है, तो क्या राष्ट्रगान बजाया जा सकता है? जब मंदिर में पूजा के वक्त राष्ट्रगान नहीं बजाया जा सकता है, तो मस्जिद में कैसे बजाया जा सकता है? यह लोग सिर्फ चर्चा में रहने के लिए इस तरह के बयान देते हैं, जिनका सार्थकता से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे लोगों को बोलने के लिए मंच नहीं मिलना चाहिए। -एजेंसी इनपुट के साथ