भाषा विवाद में कूद पड़े अबू आज़मी। सौजन्यः सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद में अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आज़मी भी कुद पड़े है।अबू आज़मी ने दिया बयान अब सरकार का पक्ष मजबूत कर सकता है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने निर्णय पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आज़मी ने बड़ा बयान दिया है। अबू आज़मी ने कहा कि मराठी पहली भाषा है, लोग अंग्रेज़ी के पीछे भागते हैं क्योंकि वे ‘गुलाम’ हैं, इसलिए यह दूसरी भाषा है।
अबू आज़मी ने कहा कि मैं बार-बार दोहराता हूँ कि तीसरी भाषा हिंदी होनी चाहिए। संसद में एक समिति है जो हिंदी को बढ़ावा देने के लिए देश भर में जाती है और केंद्र सरकार के सभी काम भी हिंदी में होते हैं। कुछ लोग राजनीति करना चाहते हैं… हिंदी को 100% राष्ट्रीय भाषा घोषित किया जाना चाहिए, जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक बोली जानी चाहिए।
आज़मी ने कहा कि अगर मैं असम जाऊँ तो क्या मुझे असमिया सीखना चाहिए? बता दें कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सोमवार को घोषणा की कि राज्य के स्कूलों में त्रिभाषा फार्मूला लागू करने के विचार पर अंतिम निर्णय लेखकों, भाषा विशेषज्ञों, राजनीतिक नेताओं और अन्य सभी संबंधित हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।
Mumbai, Maharashtra: On the language controversy in Maharashtra, Samajwadi Party State President and MLA Abu Azmi says, “I have said this fifty times before — there is a committee in Parliament that travels across the country to promote Hindi. All the work of the central… pic.twitter.com/o8dLwQBX7m
— IANS (@ians_india) June 24, 2025
यह कदम स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने के सरकार के फैसले के व्यापक विरोध के बीच उठाया गया है। यह घोषणा मुख्यमंत्री आवास पर तीन-भाषा फॉर्मूले पर एक बैठक के बाद की गई।
इस बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे, राज्य मंत्री पंकज भोईर साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए। सरकार ने जारी किए प्रेस बयान के मुताबिक नेताओं ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया और भाषा नीति पर सभी हितधारकों की स्थिति प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने सभी विकल्पों को शामिल करते हुए एक विस्तृत प्रस्तुति तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसमें यह सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा कि मराठी छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में परिकल्पित एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, अकादमिक बैंक ऑफ़ क्रेडिट के संबंध में शैक्षणिक नुकसान हो। बयान के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए मराठी भाषा के विद्वानों, साहित्यकारों और राजनीतिक नेताओं सहित सभी हितधारकों के साथ एक प्रस्तुति और परामर्श प्रक्रिया आयोजित की जाएगी।