मंत्री आशीष शेलार का हिंदी भाषा विरोध पर बयान
मुंबई: महाराष्ट्र के प्राथमिक स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 5वीं तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाए जाने के राज्य की महायुति सरकार के निर्णय का जोरदार विरोध किया जा रहा है। इस पर राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री एवं मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र में केवल मराठी भाषा ही अनिवार्य है।
गलतफहमियों के कारण हो रहा विरोध
भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि राज्य में पहली से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है। बल्कि हमारी सरकार ने पांचवी से आठवीं तक की कक्षाओं से भी हिंदी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। मंत्री शेलार ने कहा कि राज्य में में चल रही चर्चाओं को अतार्किक, अनुचित और अवास्तविक बताते हुए कहा कि हम मराठी और छात्रों के हितों के कट्टर समर्थक हैं। हम हिंदी के मुद्दे पर राज्य में चल रही चर्चाओं का स्वागत करते हैं। कुछ गलतफहमियों के कारण जो आलोचनाएं हो रही हैं, लोकतंत्र में वह भी अपेक्षित हैं और कुछ लोग आंदोलन की भूमिका में हैं तो यह उनका स्वाभाविक अधिकार है। उन्होंने कहा कि अब तक कक्षा 5 से 8 तक हिंदी अनिवार्य थी और हमारी सरकार ने इसे हटाकर हिंदी भाषा को वैकल्पिक बना दिया है। अब वैकल्पिक भाषा के रूप में हिंदी सहित 15 भाषाओं की व्यवस्था की गई है।
अध्ययन के बाद निर्णय
शेलार ने कहा कि तीन भाषाओं की शिक्षा का निर्णय बीजेपी सरकार ने नहीं लिया है। बल्कि इसके विस्तृत अध्ययन के लिए सरकार ने अधिकारियों का एक समूह नियुक्त किया था। इसके बाद भाषा और शैक्षणिक जगत के 450 विशेषज्ञों ने 1 वर्ष तक इस मामले का अध्ययन कर इसे तैयार किया। उनके द्वारा तैयार किया गया मसौदा आपत्तियों और सुझावों के लिए जनता के लिए उपलब्ध कराया गया, जिस पर 3800 से अधिक आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए। उनका अध्ययन करने के बाद सुकणु समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें तीसरी भाषा के रूप में हिंदी का विकल्प प्रस्तावित किया गया है।
विरोध में उतरे साहित्यकार
दूसरी तरफ जाने-माने मराठी कवि और महाराष्ट्र सरकार से पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार हेमंत दिवटे ने महायुति सरकार के तीन भाषा नीति के विरोध में अपना साहित्यिक सम्मान वापस लौटाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि मैं स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का सख्त विरोध करता हूं। दिवटे को 2021 में ‘पॅरानोइया’ कविता संग्रह के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘कवी केशवसुत पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।