सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम अजित पवार, एकनाथ शिंदे (pic credit; social media)
मुंबई: महायुति की पिछली सरकार के दौरान लाई गई महत्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री माझी लाडली बहन’ (लाडली बहन) योजना मौजूदा महायुति सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रही है। विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति की सत्ता में वापसी करने वाले इस गेम चेंजर योजना को जारी रखने के लिए पैसों का इंतजाम करने में सरकार के पसीने छूट रहे हैं। लाडली योजना के कारण सरकार की जनहित में चलाई जानेवाली दूसरी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। उप मुख्मंत्री अजीत पवार की राकां के नेता व मंत्री भरणे ने रविवार को स्वीकार किया कि लाडली बहन योजना के कारण विकास निधि मिलने में देरी हो रही है।
कैबिनेट मंत्री दत्तात्रेय भरणे हाल ही में इंदापुर में एक घरकुल के चेक वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने इंदापुर तालुका में विकास कार्यों और उसके लिए प्राप्त विकास निधि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि विकास निधि प्राप्त होने में देरी के लिए लाडली बहन योजना जिम्मेदार है।
लाडली बहन के कारण धनराशि आने में देरी
भरणे ने कहा कि मैं लगातार देख रहा हूं कि चाहे मैं मुंबई में रहूं या पुणे में या कहीं और मैं यही जानने की कोशिश कर रहा हूं कि अपने इंदापुर तालुका के लिए ज्यादा से ज्यादा धनराशि कैसे जुटाऊं लेकिन लाडली बहन के कारण धनराशि आने में देरी हो रही है। हालांकि बाद में उन्होंने ये कहकर मामले पर पर्दा डालने का प्रय़ास किया कि धीरे-धीरे सब कुछ पटरी पर आ रहा है।
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सरकारी खजाने पर दबाव
भरणे से पहले मंत्री संजय शिरसाट कई बार यह आरोप लगा चुके हैं कि लाडली के लिए उनके समाज कल्याण विभाग की निधि में कटौती की गई है। उनके विभाग का पैसा महिला व बाल कल्याण विकास विभाग के अंतर्गत आनेवाले लाडली बहन योजना के लिए दे दिया गया। इस योजना पर राज्य सरकार का वित्त विभाग और विपक्ष शुरू से सवाल खड़े करता रहा है।
लाडली बहना योजना में मिलता है कितना पैसा?
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मेरी लाडली बहना योजना शुरू की थी। योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये हर माह दिए गए। विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने पांच महीने के किस्तों का भुगतान पात्र लाभार्थियों को किया। चुनाव प्रचार के दौरान महायुति के नेता जोर शोर से प्रचार कर रहे थे कि अगर राज्य में फिर से महायुति की सरकार बनी तो ने 1500 की रकम को बढ़ाकर 2100 रुपये कर देंगे।
चुनाव के बाद महायुति सरकार की सत्ता में वापसी हो गई, लेकिन सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। अब यह योजना सरकार के गले की हड्डी बन गई हैं। लाडली बहनों को हर माह पैसा देने के लिए सरकार को कई तरह के जोड़ तोड़ करने पड़ रहे हैं। दूसरे विभाग से पैसे ट्रांसफर करना पड़ रहा है।