महायुति सरकार (pic credit; social media)
Vadhavan Port: महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने फ्रेट कॉरिडोर बनाकर देशभर में चर्चित वाढवण पोर्ट को हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग से जोड़ने के निर्णय को मंगलवार को कैबिनेट बैठक में मंजूरी देने का एक बेहद अहम निर्णय लिया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में हुई बैठक में मंत्रिमंडल ने परियोजना की रूपरेखा और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को भी मंजूरी दी। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री अजित पवार, एकनाथ शिंदे के साथ कई अन्य मंत्री एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
कैबिनेट बैठक में हिंदू हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग को वाढवण पोर्ट को ‘फ्रेट कॉरिडोर’ के जरिए जोड़ने के लिए 104.898 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे को मंजूरी दी गई। यह परियोजना महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम के माध्यम से शुरू की जाएगी। इसके लिए हुडको से 1,500 करोड़ रुपए का ऋण लिया जाएगा।
इस ऋण के साथ, कैबिनेट ने 2,528 करोड़ 90 लाख रुपए के प्रावधान को भी मंजूरी दी। परियोजना का काम 3 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। वाढवण ट्रांसशिपमेंट पोर्ट का निर्माण वाढवण पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड कर रहा है। वाढवण पोर्ट के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय माल यातायात देश के सभी हिस्सों में जल्दी और सस्ती कीमत पर पहुंच सके, यह सुनिश्चित करने के लिए, इस पोर्ट को हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव है।
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में नई महाराष्ट्र स्टार्टअप, उद्यमिता एवं नवाचार नीति-2025 को भी अपनी मंजूरी दी। इसके तहत अगले पांच वर्षों में सवा लाख उद्यमी तैयार किए जाने तथा 50 हजार स्टार्टअप का लक्ष्य रखा है। इससे देश में सबसे ज्यादा स्टार्टअप और यूनिकॉर्न तैयार होंगे, साथ ही राज्य में राज्य की पहचान बनेगी और रोजगार सृजन व नवाचार के क्षेत्र में राज्य की वैश्विक पहचान बनेगी। इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ महिलाओं और युवाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा।
गौरतलब हो कि देश में सबसे ज्यादा स्टार्टअप उद्योग महाराष्ट्र में हैं। 31 मई, 2025 तक, राज्य में स्टार्टअप उद्योगों की संख्या 29,147 है। देश के कुल स्टार्टअप्स का 18 प्रतिशत महाराष्ट्र में है। स्टार्टअप उद्योगों के लिए एक अधिक प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु समय के अनुरूप एक नई नीति तैयार की गई है। यह नीति नवाचार, उद्यमियों और निवेशकों के लिए एक प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है।
नीति की एक प्रमुख विशेषता मुख्यमंत्री का “महा-कोष” है, जिसमें 500 करोड़ रुपए का कोष है, जिसके माध्यम से 25,000 प्रारंभिक चरण के उद्यमियों को मार्गदर्शन, ऊष्मायन और वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। सुव्यवस्थित बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए राज्य भर के आईटीआई, पॉलिटेक्निक और शैक्षणिक संस्थानों में माइक्रो इनक्यूबेटर स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, प्रत्येक प्रशासनिक प्रभाग में क्षेत्रीय नवाचार और उद्यमिता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र एआई, डीपटेक, फिनटेक, मेडटेक, साइबर सुरक्षा और स्थिरता जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे ।
“महाराष्ट्र इनोवेशन सिटी” 300 एकड़ के शहर में स्टार्टअप्स, कॉर्पोरेट्स, शैक्षणिक संस्थानों और सरकार को एक साथ लाएगा। यह इनोवेशन सिटी अनुसंधान और नवाचार का केंद्र होगा। महाराष्ट्र स्टार्टअप सप्ताह के तहत चुने गए स्टार्टअप्स सरकारी विभागों के साथ सीधे काम कर सकेंगे और उन्हें 25 लाख रुपए तक के पायलट वर्क ऑर्डर दिए जाएंगे।
साथ ही, पेटेंट पंजीकरण, उत्पाद गुणवत्ता प्रमाणपत्र, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य के प्रत्येक विभाग के लिए अपने वार्षिक कोष का 0.5% नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य होगा। सभी योजनाओं का क्रियान्वयन महाराष्ट्र राज्य नवाचार सोसायटी के माध्यम से किया जाएगा।