सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम शिंदे और अजित पवार
मुंबई: किसानों का मुद्दा महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र में तीसरे दिन भी छाया रहा। बुधवार को विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को किसानों के मुद्दे पर जमकर आड़े हाथों लिया। किसानों की आत्महत्या का वादा बहुत अच्छा है कहते हुए विपक्ष के नेताओं ने कहा कि बीते 3 महीनों में राज्य में 767 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। नौबत ऐसी आ गई है कि बैलों के अभाव किसान खुद को हल में जोड़ने को मजबूर हो गए हैं। सत्ता में आने के बाद सरकार किसानों की कर्जमाफी का वादा भूल गई है, ऐसा आरोप लगाते हुए विपक्ष ने चर्चा की मांग की।
इस पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि विपक्ष पक्षाघात प्रस्ताव लाए, मैं चर्चा के लिए पूरा दिन देने को तैयार हूं। लेकिन विपक्ष किसानों की समस्या की आड में राजनीति न करे। लेकिन चर्चा की मांग तुरंत स्वीकार नहीं होने पर विपक्ष ने दो बार विधानसभा से दो बार बहिर्गमन किया।
किसानों की आत्महत्या और सोयाबीन खरीद के लिए कथित तौर पर भुगतान नहीं किए जाने के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों ने महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार घेरने का जोरदार प्रयास किया।
#WATCH | Maharashtra | An elderly farmer tills dry land by tying himself to traditional plough in drought-hit area in Latur pic.twitter.com/9geMReVGB0
— ANI (@ANI) July 2, 2025
तीन महीनों में 700 से अधिक मौत
विधानसभा में कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने दावा किया कि इस वर्ष के पहले तीन महीनों में राज्य में 700 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए एक स्थगन प्रस्ताव दिया। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया, जिसमें शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे को गोवा को नागपुर के साथ जोड़ने के लिए 20,000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई। वडेट्टीवार ने कहा कि प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं और फिर भी सरकार उदासीन बनी हुई है।
इस साल जनवरी से मार्च तक, 767 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से 200 मामलों को (मृतक के परिजन के वास्ते) सहायता के लिए अयोग्य घोषित किया गया जबकि 194 मामलों में अभी भी पूछताछ लंबित हैं। उन्होंने सरकार पर चुनाव से पहले कर्ज माफी और लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के झूठा वादा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सोयाबीन और कपास उत्पादकों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य नहीं मिला है।
मंत्रियों के असंवेदनशील बयान
वडेट्टीवार ने किसानों को कथित तौर पर ‘‘भिखारी’’ कहने के लिए कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे और किसानों के खिलाफ ‘‘असंवेदनशील और अपमानजनक बयान’’ देने के लिए पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर की भी निंदा की। उन्होंने लातूर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां 65 वर्षीय वृद्ध किसान अंबादास पवार कथित तौर पर खुद को हल से जोतने को मजबूर है। क्योंकि वह खेत जोतने के लिए किराये पर बैल नहीं ले सकते थे।
समिति नहीं कार्रवाई की जरूरत
वडेट्टीवार ने चरणबद्ध प्रस्ताव के जरिए किसानों की समस्याओं काे उठाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि समितियों का गठन करने के बजाय सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। किसान समितियां नहीं राहत चाहते हैं। विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए सहकारिता एवं विपणन मंत्री जयकुमार रावल ने सदन को बताया कि इस वर्ष राज्य में 562 केंद्रों पर रिकॉर्ड मात्रा में सोयाबीन की खरीद की गई। रावल ने कहा कि 51,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपज बेची और 5,500 करोड़ रुपए सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गए।
सरकार चर्चा के लिए तैयार
किसान लाखों लोगों के अन्नदाता हैं और राज्य में किसानों की सरकार है। किसानों की समस्याओं और बाधाओं को समझना और उनका समाधान करना, किसानों की मदद करना सरकार की जिम्मेदारी है और हमारी सरकार इसका पूरा प्रयास करेगी। विपक्षी दल के सदस्यों को सदन में अराजकता पैदा नहीं करनी चाहिए। किसानों के सवालों पर चर्चा करने के लिए सरकार तत्पर है। सरकार चर्चा से नहीं भागेगी। यह बात उप मुख्यमंत्रियों अजीत पवार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।