मनोज जरांगे का 29 अगस्त को मंत्रालय पर धावा (सौजन्यः सोशल मीडिया)
जालना: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर उबाल आने वाला है। मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चर्चित और जिद्दी तेवरों वाले नेता मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार को खुली चेतावनी दे दी है। उन्होंने साफ कहा है “अब कोई झूठे वादे नहीं, 29 अगस्त को मंत्रालय पर सीधा मोर्चा निकालूंगा।” मनोज जरांगे पाटिल का आंदोलन कोई नया नहीं। वे पहले भी कई बार उपवास और मार्च के जरिए सरकार को झुका चुके हैं।
लेकिन उनका आरोप है कि सरकार ने बार-बार वादे कर के धोखा दिया। पिछली बार जब उन्होंने मुंबई की ओर कूच किया था तो पुलिस ने वाशी के पास ही मोर्चा रोक लिया था। लेकिन इस बार जरांगे पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने वाले हैं। रविवार को बीड जिले के अंतरवली सराटी गांव में बड़ी बैठक हुई, जहां हजारों की भीड़ जमा हुई। इस बैठक में उन्होंने मंच से हुंकार भरी। “27 अगस्त की सुबह 10 बजे गांव छोड़ूंगा। इस बार कोई रुकावट नहीं, कोई समझौता नहीं।
2दिन और दो रात लगातार चलकर 29 अगस्त को मुंबई के मंत्रालय के दरवाजे पर पहुंचूंगा। सरकार चाहे कुछ भी करे, अब हमें रोका नहीं जा सकता।” जरांगे के इस आक्रामक रुख ने सरकार की नींद उड़ा दी है। मानसून सत्र के दौरान राजधानी में इतना बड़ा मोर्चा पहुंचना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। पहले से ही विपक्ष आरक्षण के सवाल और किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
जरांगे के मार्च की योजना भी पूरी तरह तैयार है। मोर्चा 27 अगस्त को अंतरवली सराटी गांव से रवाना होगा। यह शहागढ़, पैठण, शेवगांव, पांढरीपूल, अहिल्यानगर, नेप्टी नाका, आळेफाटा, शिवनेरी दर्शन, माळशेज घाट, कल्याण और वाशी होते हुए सीधे मंत्रालय तक पहुंचेगा। दो दिन और दो रात लगातार चलकर हजारों लोग राजधानी में घुसेंगे यह नजारा सरकार के लिए राजनीतिक रूप से विस्फोटक हो सकता है।
ट्रम्प समर्थक सरकार हारी जीता हुआ युद्ध, आंबेडकर का मोदी सरकार पर तीखा हमला
राज्य सरकार पहले ही विपक्ष के हमलों से घिरी हुई है। विपक्ष हिंदी को स्कूलों में अनिवार्य करने के फैसले पर भी सरकार को आड़े हाथ ले रहा है। उधर लगातार हो रही बारिश ने मुंबई में यातायात और व्यवस्था पहले से ही अस्त-व्यस्त कर रखी है। ऐसे में हजारों की भीड़ के मार्च का प्रवेश सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला तो यह आंदोलन राज्य सरकार की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं मराठा समाज में भी जरांगे की अपील का असर दिखाई दे रहा है। कई जगहों पर उनकी अपील के समर्थन में तैयारियां शुरू हो गई हैं।
सरकार के पास अब दो ही रास्ते हैं या तो जरांगे को फिर से बातचीत के जरिए रोक ले, या आंदोलन के चलते मुंबई में कानून-व्यवस्था को संभालने की कड़ी तैयारी करे। इस बीच विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है, जो विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। एक तरफ मानसून की मूसलाधार बारिश, दूसरी तरफ मराठा आंदोलन की गूंज महाराष्ट्र की राजनीति में अगले कुछ दिन बेहद गरम रहने वाले हैं।