किसान अनुदान घोटाले में अब तक 21 अधिकारी निलंबित। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
जालना: जालना जिले में किसानों के लिए मंजूर अनुदान में बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद प्रशासन ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। गुरुवार को जिला प्रशासन ने 7 पटवारियों और 4 सहायक राजस्व अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इससे पहले 10 पटवारियों को निलंबन की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। अब तक घोटाले में शामिल कुल 21 कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है।
इस घोटाले में 35 पटवारियों के खिलाफ विभागीय जांच की सिफारिश की गई है। वहीं 5 तहसीलदारों और 6 नायब तहसीलदारों पर कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए जांच रिपोर्ट राज्य शासन को भेज दी गई है। यह जानकारी जिलाधिकारी डॉ. श्रीकृष्ण पांचाल ने दी।
यह घोटाला वर्ष 2022 से 2024 के बीच अति वर्षा और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को वितरित किए गए सरकारी अनुदान की योजना में फर्जी नामों, डुप्लीकेट रिकॉर्ड और गैर-मौजूद भूमि पर किए गए भुगतान के जरिए सामने आया है। जांच में यह पाया गया कि कई मामलों में एक ही व्यक्ति के नाम पर दो बार अनुदान लिया गया, कुछ मामलों में ऐसे किसानों को भी लाभ दे दिया गया जिनके नाम जमीन ही नहीं थी। शिकायतों के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इन गड़बड़ियों की पुष्टि की।
समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों और कर्मचारियों से लेखित स्पष्टीकरण मांगा गया था। जब संतोषजनक जवाब नहीं मिले, तो कार्रवाई करते हुए पहले 10 और फिर गुरुवार को 11 कर्मचारियों को निलंबित किया गया।
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जिन अधिकारियों को गुरुवार को निलंबित किया गया है, उनके नाम डी.जी. कुरेवाड (पटवारी – सो. पिंपलगांव), सचिन बागूल (पटवारी – डोमगांव), राजू शेख (पटवारी – तीर्थपुरी), एस.एस. कुलकर्णी (पटवारी – बाजी उम्रद), एस.एम. जारवाल (पटवारी – बोधलापुरी), डी.जी. चांदमारे (पटवारी – मूर्ती), ज्योति खर्जुले (मंडल अधिकारी – कुंभाझरी), आर.बी. माळी (सहायक राजस्व अधिकारी – मंठा), आशिष पैठणकर (सहायक राजस्व अधिकारी – घनसावंगी), सुशील जाधव (सहायक राजस्व अधिकारी – अंबड) और व्ही.डी. ससाने (सहायक राजस्व अधिकारी – घनसावंगी) इस प्रकार हैं।
जांच में अंबड और घनसावंगी तहसीलों के वर्तमान और पूर्व 5 तहसीलदारों और 6 नायब तहसीलदारों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। इन सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे, जिनके उत्तर प्राप्त होने के बाद जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। अब राज्य सरकार इन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी।
जालना के जिल्हाधिकारी डॉ. श्रीकृष्ण पांचाल ने बताया कि घोटाले में शामिल 35 पटवारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई है। सूत्रों के अनुसार यदि जांच में आपराधिक साक्ष्य सामने आते हैं, तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ दंडात्मक मुकदमे दर्ज किए जा सकते हैं। “घोटाले में लिप्त किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। जांच पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से की जा रही है। जरूरत पड़ी तो आपराधिक कार्रवाई भी की जाएगी।