विधायक राजू नवघरे और संतोष बांगर नाराज। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
हिंगोली: हिंगोली में आज 29 मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण तथा किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस बैठक में शिंदे गुट के विधायक संतोष बांगर और अजित पवार गुट के विधायक राजेश नवघरे शामिल नहीं हुए। हालांकि, उन्होंने बैठक के बगल में बने हेलीपैड पर मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात की और उनका अभिनंदन किया।
राज्य में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार अस्तित्व में आई है। 2019 के बाद पहली बार आज हिंगोली में देवेंद्र फडणवीस का कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम के लिए कलमनुरी विधायक संतोष बांगर और वसमत विधायक राजेश नवघरे को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, इस कार्यक्रम की पूरी योजना भाजपा विधायक तन्हाजी मुटकुले ने बनाई थी। चूंकि यह भाजपा पार्टी का कार्यक्रम था, इसलिए मंच पर भाजपा के सभी पदाधिकारियों का जुलूस था।
🔸 CM Devendra Fadnavis arrives at Hingoli
🔸 मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांचे हिंगोली येथे आगमन
🔸मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इनका हिंगोली में आगमन 🕞 3.35pm | 29-5-2025📍Hingoli | दु. ३.३५ वा. | २९-५-२०२५📍हिंगोली.@Dev_Fadnavis#Maharashtra #DevendraFadnavis #Hingoli pic.twitter.com/MWldgJXlBn — @OfficeOfDevendra (@Devendra_Office) May 29, 2025
उल्लेखनीय है कि हिंगोली में विधायक बांगर और विधायक नवघरे ने कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने हेलीपैड पर देवेंद्र फडणवीस का अभिनंदन भी किया। हालांकि, वे कार्यक्रम के मंच पर आने से बचते रहे। यह बात अब काफी चर्चा का विषय बन गई है और यह स्पष्ट है कि महायुति के विधायकों में तालमेल नहीं है।
चूंकि संकेत मिल रहे हैं कि वे जल्द ही होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में महायुति के बजाय अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे, इसलिए भविष्य में महायुति के घटक दलों के बीच काफी खींचतान होगी।
जिले के 2 अन्य विधायकों ने भले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यक्रम से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन शिंदे गुट के विधान परिषद विधायक हेमंत पाटिल उस समय मंच पर पहुंचे, जब मुख्यमंत्री फडणवीस का भाषण अंतिम चरण में था। एक ओर जहां विधानसभा में घटक दलों के विधायकों ने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से मुंह मोड़ लिया था, वहीं विधायक हेमंत पाटिल ने अंतिम समय में मंच पर आकर राजनीतिक समझदारी का परिचय दिया।