कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और आला अधिकारियों के साथ बैठक कर मार्च 2026 तक नक्सलियों के खात्मे का टारगेट सेट कर दिया। इसके साथ ही अब सुरक्षा एजेंसियां काम पर लग गई हैं। गड़चिरोली के दक्षिणी भाग और छत्तीसगढ़ के नारायणपुर व बीजापुर में नक्सलियों के खात्मे का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है।
इंटरस्टेट स्पेशल ऑपरेशन के जरिए अब महाराष्ट्र और गड़चिरोली के दुर्गम इलाकों में नक्सलियों को मार गिराने की तैयारी हो रही है। मंगलवार को गड़चिरोली में केंद्रीय गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों, महाराष्ट्र की डीजी रश्मि शुक्ला, डीजी सीआरपीएफ अनीश दयाल सिंह, आईजी एंटी नक्सल ऑपरेशन संदीप पाटिल, छत्तीसगढ़ के आला पुलिस अधिकारी, गड़चिरोली एसपी और महाराष्ट्र व छग की सीमा से जुड़े जिलों के एसपी भी उपस्थित थे।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ सीमा से सटे भागों में आर-पार की लड़ाई कर नक्सलियों को जड़ से उखाड़ने के लिए संयुक्त रूप से विशेष अभियान चलाने पर चर्चा की गई। मंगलवार की सुबह डीजी रश्मि शुक्ला नागपुर पहुंचीं और हेलिकॉप्टर से गड़चिरोली रवाना हो गईं।
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इस बैठक को लेकर काफी गोपनीयता बरती गई क्योंकि केंद्र के सचिव सहित और केंद्रीय पुलिस बल के आला अधिकारी भी बैठक में हिस्सा लेने वाले थे। ज्ञात हो कि पिछले कुछ समय से गड़चिरोली में सी-60 जवान लगातार दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन चला रहे हैं। इस बीच कई नक्सलियों को मार गिराया गया और बड़ी संख्या में नक्सली महाराष्ट्र से खदेड़े गए। एक तरह से पूरे उत्तर गड़चिरोली को पुलिस ने नक्सल मुक्त कर दिया है लेकिन अब सरकार और सुरक्षाबलों का पूरा फोकस छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाके हैं।
सबसे ज्यादा संवेदनशील दक्षिणी भाग को माना जाता है। जब-जब यहां पुलिस ऑपरेशन चलाती है तब तब नक्सल कैडर गड़चिरोली से सटे छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर और बीजापुर के जंगलों में जाकर डेरा डाल लेते हैं। बिल्कुल इसी तरह छत्तीसगढ़ में अभियान के दौरान भी सीमावर्ती इलाकों में हलचल बढ़ जाती है।
पिछले दिनों गृह मंत्री शाह ने सभी नक्सल प्रभावित राज्यों के सीएम और आला अधिकारियों के साथ बैठक की।सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद शाह ने नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस के साथ-साथ विकास व जनकल्याणकारी योजनाओं को शत-प्रतिशत जनता तक पहुंचाने पर जोर दिया।
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आदिवासी दुर्गम इलाकों के विकास में नक्सल बाधा पहुंचा रहे हैं, इसीलिए अब सभी राज्यों को आपस में समन्वय कर नक्सलियों का खात्मा करने की तैयारी है। इस बैठक में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में दोनों तरफ से एक साथ अभियान चलाने पर चर्चा की जिस पर दोनों ही राज्यों की पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के अधिकारियों ने मुहर लगाई है। बिहार और झारखंड की तरह ही महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में भी पूरी तरह से वामपंथी उग्रवाद का खात्मा किया जाएगा।
इस बैठक में सभी मुद्दों पर बारीकी से चर्चा की गई। विशेषतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप स्थापित करने पर जोर दिया गया। आला अधिकारी के अनुसार अब सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलवाद पर एक अंतिम प्रहार कर जमीनी स्तर पर माओवाद का खात्मा करने जा रही हैं।
माओवाद को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा सरेंडर पॉलिसी चलाई जा रही है। यह आत्मसमर्पण योजना वर्ष 2005 में शुरू की गई थी। उल्लेखनीय है कि 2 दिन पहले जहाल नक्सलवादी वरुण राजा मुचाकी उर्फ उंगा और उसकी पत्नी रोशनी ने केंद्रीय सुरक्षा बल और गड़चिरोली पुलिस के सामने हथियार डाल दिए। दोनों ही पिछले 8 वर्षों से नक्सल गतिविधियों में लिप्त थे और पुलिस के खिलाफ चलाए गए अभियानों में शामिल हुए।
सुरक्षा बल के जवान भी इस सरेंडर पॉलिसी से परेशान हो गए हैं। उनका कहना है कि सरकार को दोहरा मापदंड नहीं रखना चाहिए। जो लोग सुरक्षा बलों पर गोलियां चला रहे हैं, उन्हें मार रहे हैं। ऐसे लोगों के साथ सहानुभूति रखना ही शहीद अधिकारी और जवानों का अपमान है। वर्ष 2005 से अब तक 674 माओवादी सुरक्षा एजेंसियों के सामने सरेंडर कर चुके हैं।