
नगर परिषद (सोर्स: नवभारत तस्वीर )
Tiroda Municipal Council Election: गोंदिया जिले की तिरोड़ा नगर परिषद के चुनाव 2 दिसंबर को होने हैं। तिरोड़ा नप पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद प्रफुल पटेल का गढ़ है, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा ने उनके गढ़ में सत्ता हथिया ली थी। इस बार कांग्रेस के जिलाध्यक्ष दिलीप बंसोड़, भाजपा विधायक विजय रहांगडाले और राष्ट्रवादी कांग्रेस के सर्वस्व प्रफुल पटेल ने अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है और एक-दूसरे के गढ़ तोड़ने के लिए रणनीति बना रहे हैं। इसलिए, निगाहें इस बात पर हैं कि आखिर तिरोड़ा नप में दबदबा किसका है।
तिरोड़ा नप में 20 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। जिसके लिए 91 उम्मीदवार मैदान में हैं तथा नगराध्यक्ष पद के लिए 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां नगराध्यक्ष का पद ओबीसी गट के लिए रिजर्व है। यहां अभी भाजपा के विधायक विजय रहांगडाले हैं। इसलिए, इस नजरिए से देखें तो मनपा पर भाजपा का झंडा लहरा रहा है। इसलिए, तीनों पार्टियों ने एक-दूसरे का गढ़ तोड़ने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
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राष्ट्रवादी कांग्रेस के अजित पवार गुट के पूर्व विधायक राजेंद्र जैन और कांग्रेस के पूर्व विधायक दिलीप बंसोड़ ने भी यहां मजबूत उम्मीदवार उतारकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस (शप) पार्टी ने रविकांत बोपचे और शिवसेना शिंदे गुट ने भी उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन उनका लोगों पर कितना असर होगा, इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है। यह तस्वीर 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर ही साफ होगी।
गोरेगांव और सालेकसा नपं में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शप), उद्धव सेना, शिंदे सेना ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कुछ मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं। क्योंकि दोनों जगहों पर वोटर्स की संख्या कम है, इसलिए हर कोई ज्यादा से ज्यादा वोटर्स तक पहुंचकर उनका दिल जीतने की कोशिश कर रहा है। लेकिन वे कितने असरदार होते हैं, यह तो नतीजों के बाद ही साफ होगा।
नगर पंचायत चुनाव में आरक्षण लिमिट 50 प्रश। रखने का आदेश है। लेकिन यहां आरक्षण प्रश। ज्यादा हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फटकार लगाई है और मंगलवार को सुनवाई होनी थी। लेकिन, वह सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। इसलिए, सबका ध्यान इस बात पर है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक लगाएगा या कोई फैसला देगा, जबकि चुनाव मैदान में उम्मीदवार का डर बढ़ गया है।






