अनफिट वाहनों से प्रदूषण में वृद्धि (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Unfit Vehicles: उचित देखभाल व दुरूस्ती के अभाव में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सहजता से फिटनेस प्रमाणपत्र मिलता है। जिससे मार्गो पर दौड़ने वाले ऐसे अनफिट वाहनों से शहर के प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। इस तरह के वाहनों के लिए नियमावली बनी है। लेकिन इस संदर्भ में कोई भी बहुत गंभीर नहीं है। जिससे बाहर से आकर्षक दिखने वाले वाहन मार्गो पर दौड़ते समय काला धूआं छोड़ रहे है। इन वाहनों से वायु प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। इस वायु प्रदूषण से मानवी जीवन पर विपरित असर हो रहा है। जिससे अनेक लोगों को दम, श्वास रोग जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
मार्गो पर तेज गति से दौड़ने वाली बस, ट्रक, कार व दुपहिया सहित अन्य वाहनों के कर्कश हॉर्न और पुराने वाहनों की आवाज से ध्वनी प्रदूषण बढ़ा है। जिससे लोगों में बहरापन की समस्या निर्माण हुई है। इसमें अचानक वाहनों की कर्कश आवाज से अनेक बार दुर्घटना होती है। जबकि इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। सबसे अधिक वायु प्रदूषण पुराने वाहनों से हो रहा है। इन वाहनों में बंद फ्युएल इंजेक्टर, चोक होने वाले छेद, हवा फिल्टर, मिलावटयुक्त ईंधन, कार्बोरेटर की गलत सेटिंग, डीजल स्प्रे नोजल में खराबी जैसी अनेक समस्या होती है।
इसी तरह इग्निशन सिस्टम में कुछ घटक फेल होने, इग्निशन काइल, हाय वोल्टेज वायर, स्पार्क प्लग आदि से अपूर्ण ईंधन ज्वलन होकर वाहन काला धूआं छोड़ते हैं। लेकिन यातायात व उपप्रादेशिक परिवहन विभाग के माध्यम से वाहनों की तांत्रिक जांच किए बिना केवल पीयुसी के आधार पर फिटनेस प्रमाणपत्र सहजता से मिल जाता है। इसके बाद ऐसे वाहन खुलेआम मार्गो पर दौड़कर प्रदूषण फैलाते हैं।
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जिले में फिलहाल प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर विषय हो गया है। फिर वह जल, ध्वनी, वायु प्रदूषण हो या मृदा प्रदूषण। इसमें वाहनों से निकलने वाला काला धूआं यह बहुत बड़ी समस्या है। अधिकांश नागरिकों के पास स्वयं के वाहन है। हर दिन शहर के मार्गो पर हजारों वाहन दौड़ते है। इसी में अनेक वाहन अनफिट होते है। इन वाहनों से निकलने वाला धूआं और जगह जगह होने वाला यातायात जाम प्रदूषण का कारण बन रहा है।