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कीट रोग पर किसानों को मिले दिशा-निर्देश, धान, घुन व अरहर पर कृषि विभाग ने सुझाएं उपाय

Gondia District: फसल कीट रोग सर्वेक्षण व सलाह प्रकल्प (क्रॉपसैप) के तहत जिले में कीट रोग का प्रकोप बढ़ रहा है। ऐसे में किसानों को निम्नलिखित उपाय करने के निर्देश कृषि विभाग ने दिए।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Oct 15, 2025 | 08:16 PM

कीट रोग पर किसानों को मिले दिशा-निर्देश (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Gondia News: फसल कीट रोग सर्वेक्षण व सलाह प्रकल्प (क्रॉपसैप) के तहत जिले में कीट रोग का प्रकोप बढ़ रहा है। ऐसे में किसानों को निम्नलिखित उपाय करने के निर्देश कृषि विभाग ने दिए। धान – तुड़तुड़ा बीमारी – मौसम पूर्वानुमान के अनुसार दोपहर में अधिकतम तापमान में वृद्धि व सापेक्षिक आर्द्रता में कमी होने की संभावना है।

धान की फसल पर ब्राउन तुड़तुड़ा बीमारी के लिए मौसम अनुकूल होने के कारण मौसम में नमी बढ़ने की संभावना है, प्रबंधन प्रति एकड़ 05 पीले चिपचिपे जाल लगाएं और सुविधानुसार 3 से 4 दिनों के लिए खेत में पानी छोड़ें या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत प्रवाह 2.5 मिली को फिफ्रोनिल 5 प्रश। प्रवाह 20 मिली या ट्रायजोफॉस 40 प्रश। प्रवाह 12।50 मिली के साथ मिलाकर छिड़काव करें। आर्थिक क्षति का स्तर पार होते ही 10 लीटर पानी से नियंत्रण करें।

इस प्रकार दीए सुझाव

घुन: बढ़ती हुई आर्द्रता से घुन का प्रकोप होने की संभावना रहती है। अत: इनके नियंत्रण के लिए क्लोरेंट्रायनीप्रोल 0।4 प्रश। दानेदार या फिप्रोनिल 0।3 प्रश। दानेदार 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 5 से 7 सेमी। पानी होने पर उपयोग करें। खेत का पानी 4 से 5 दिन तक खेत से बाहर न निकाले।

अरहर: बादल छाए रहने के कारण अरहर की फसल में लीफ रोल लार्वा का प्रकोप होने की संभावना रहती है तथा इसके नियंत्रण के लिए 5 प्रश. निम्बोली अर्क का छिड़काव करें। अरहर की फसल को बुआई के 30 से 45 दिनों तक सूखा रखना आवश्यक है।

ये भी पढ़े: समय पर नहीं हो रहा मरीजों का इलाज, शासकीय ग्रामीण अस्पताल रजेगांव में व्यवस्था चरमराई

गुड़ के घोल में मिलाकर बीज का प्रक्रिया करें

चने की फसल की बुआई के लिए देशी किस्में- हरा चाफा, विजय, आईसीएसआईवी-10 (50 से 60 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर) पीकेवी हरिता और जाकी 9218 (75 से 85 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर), पीकेवी काबुली-2 और पीकेवी काबुली-4 (110 से 115 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर), गुलाबी चने की किस्म गुलक-1 (75 से 85 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर) की बुआई 15 अक्टूबर से 30 नवंबर तक करें। चने के बीज को बुआई से पहले 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2 ग्राम थिरम, 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से प्रक्रिया करे। इसके बाद 250 ग्राम राइजोबियम और 250 ग्राम पी.एस.बी. प्रत्येक 10 किलो बीज के लिए गुड़ के ठंडे घोल में मिलाकर बीज का प्रक्रिया करें।

Agriculture department suggests measures for paddy weevils and pigeon pea

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Published On: Oct 15, 2025 | 08:16 PM

Topics:  

  • Agriculture Sector
  • Gondia News
  • Maharashtra
  • Vidarbha Farmers

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