(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Gondia News In Hindi: महाराष्ट्र सरकार द्वारा किसानों को दिए जाने वाले धान बोनस की घोषणा एक राजनीतिक दांव थी, लेकिन अब यह प्रशासनिक अव्यवस्था और किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। गोंदिया जिले में लगभग 7 हजार किसानों का 17 करोड़ रुपये से अधिक का बोनस अटका हुआ है। सरकार की घोषणा के पांच महीने बाद भी राशि का पूर्ण वितरण न होने से किसानों में भारी नाराजगी है।
दिसंबर में सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 में धान बेचने वाले किसानों को 2 हेक्टेयर तक 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर बोनस देने की घोषणा की थी। गोंदिया जिले में 1,35,013 किसान इस योजना के लिए पात्र थे, जिनके लिए कुल 258 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अदा की जानी थी।
घोषणा के लगभग पांच महीने बाद, जिला मार्केटिंग अधिकारी कार्यालय को मुख्य कार्यालय से 250 करोड़ रुपये से अधिक का आंशिक आवंटन प्राप्त हुआ। लेकिन, सरकार की ओर से अभी भी 8 करोड़ रुपये का आवंटन लंबित है। इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि जिला मार्केटिंग फेडरेशन के पास उपलब्ध फंड में से भी 9 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अभी तक पात्र किसानों के खातों में ट्रांसफर नहीं की गई है।
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28 अगस्त 2025 तक की जानकारी के अनुसार, गोंदिया जिले के 6,927 किसानों को कुल 17 करोड़ 13 लाख रुपये से अधिक का प्रोत्साहन निधि वितरण किया जाना बाकी है।
यह स्थिति सरकार के वादों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। बोनस की घोषणा का उद्देश्य किसानों का भरोसा जीतना था, लेकिन अब यह प्रशासनिक लापरवाही के कारण उनके लिए आर्थिक संकट का कारण बन गया है। किसानों को यह समझ नहीं आ रहा है कि सरकार ने जब बोनस की घोषणा कर दी, तो राशि जारी करने में इतना विलंब क्यों हो रहा है। यह देरी न केवल किसानों की आर्थिक योजनाओं को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकारी घोषणाओं और उनके क्रियान्वयन के बीच कितना बड़ा अंतर है।