544 स्वास्थ्य अधिकारियों को पदोन्नति का इंतजार (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gondia News: राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत ग्रुप ‘बी’ के 544 स्वास्थ्य अधिकारी पिछले 17-18 वर्षों से आदिवासी, दुर्गम और अतिदुर्गम क्षेत्रों में सतत सेवा दे रहे हैं। कठिन परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद इन अधिकारियों ने ग्रामीण एवं आदिवासी समाज के स्वास्थ्यवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके बावजूद अब तक उनकी पदोन्नति अटकी हुई है। वर्ष 2019 में इन सभी अधिकारियों का सेवासमायोजन किया गया था।
लेकिन अब तक ग्रुप ‘ए’ में प्रमोशन न मिलने से अधिकारियों में निराशा व्याप्त है। हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने 192 अधिकारियों की पदोन्नति की घोषणा की, किंतु शेष 544 अनुभवी अधिकारियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया। इससे उनमें यह भावना प्रबल हुई है कि वर्षों की सेवाभावना के बावजूद उनके साथ अन्याय हो रहा है।
वर्तमान में राज्य में 1,300 से 1,400 ग्रुप ‘ए’ स्वास्थ्य अधिकारियों के पद रिक्त हैं। इन पदों के लिए समय-समय पर भर्ती विज्ञापन जारी किए गए, लेकिन ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण उच्च शिक्षित नए डॉक्टर जॉइन करने से कतराते हैं। इसके विपरीत, जो ग्रुप ‘बी’ के अधिकारी वर्षों से इन क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें ही पदोन्नति प्रक्रिया में लगातार उपेक्षित किया जा रहा है।
इन 544 अधिकारियों में से लगभग 75 प्रतिशत अधिकारी पीएचसी प्रभारी, टीएचओ, एडीएचओ जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारियाँ संभाल रहे हैं। फिर भी अधिकारिक दर्जा और मान्यता नहीं मिल पाना उनके लिए निराशाजनक है। स्वास्थ्य अधिकारी संघ जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर से मुलाकात कर विधानसभा अधिवेशन में ग्रुप ‘ए’ पदोन्नति की स्पष्ट घोषणा की मांग करेगा। अधिकारियों का मानना है कि पदोन्नति मिलने पर राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और अधिक मजबूत व प्रभावी हो सकेगी।
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2009 में सर्विस में रेगुलर किए गए मेडिकल ऑफिसर्स को पे कमीशन के अनुसार प्रोफेशनल सस्पेंशन अलाउंस सहित अन्य लाभ दिए गए हैं। लेकिन 2019 में सर्विस में शामिल ग्रुप ‘बी’ बीएमएस ऑफिसर्स को कोर्ट केस जीतने के बाद भी अभी तक छठे पे कमीशन के आधार पर ही प्रोफेशनल सस्पेंशन अलाउंस मिल रहा है। इसे भी भेदभाव के रूप में देखा जा रहा है।