बारिश से फसल बर्बाद (फोटो नवभारत)
Gondia Rain Crops Damage: गोंदिया जिले में शुक्रवार और शनिवार को हुई बारिश ने खेतों में खड़ी धान की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी क्योंकि उनकी आंखों के सामने ही लहलहाती फसल गिर गई। जिले के 875 किसान दो तीन हुई बारिश से प्रभावित हुए हैं।
गोंदिया की 7 तहसीलों के 90 गांव प्रभावित हुए हैं, और जिला कृषि अधीक्षक कार्यालय ने अनुमान लगाया है कि जिले में 470 हेक्टेयर में फसलें बर्बाद हुई हैं। जिला कृषि अधीक्षक नीलेश कानवड़े ने नुकसान के आंकड़े में वृद्धि की संभावना जताई है।
इस वर्ष खरीफ सीजन में 1 लाख 26 हजार हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी। इसमें हल्का धान अधिक क्षेत्र में लगाया गया है। क्योंकि दिवाली से पहले हल्के धान की कटाई हो जाती है, इसलिए किसान इसे अपना कर्ज चुकाने और दिवाली मनाने के लिए बेच देते हैं। लेकिन, बारिश ने स्थिति को बदल दिया है।
गोंदिया एक धान उत्पादक जिला है। इस जिले की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। किसान खरीफ की आय से अपना जीवन यापन करते हैं और कुछ पैसे अपने बच्चों की शिक्षा, शादी और कुछ पैसे रबी की आय से बचाते हैं।
पिछले तीन-चार वर्षों से किसान लगातार प्राकृतिक आपदाओं की मार झेल रहे हैं। इसके कारण वे कर्ज के पहाड़ तले दबते जा रहे हैं। हर बार वे बड़ी हिम्मत से काम लेना शुरू करते हैं। लेकिन, ऐसा लगता है कि प्राकृतिक आपदाएं उनका पीछा नहीं छोड़ रही है।
इस वर्ष, जिले में खरीफ सीजन में संतोषजनक बारिश हुई। इसके कारण धान की फसल भी पूरे शबाब पर आ गई है। 75 प्रतिशत धान की कटाई के लिए आ गई है। जबकि भारी किस्म के धान की कटाई एक महीने के भीतर हो जाएगी।
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कई किसानों ने एक महीने के भीतर धान की कटाई करने की योजना बनाई थी। उल्लेखनीय है कि, इस साल, धान की फसल पूरे शबाब पर आ गई थी। इसलिए किसानों को अच्छी पैदावार की भी उम्मीद थी। इसलिए, किसानों के चेहरों पर संतुष्टि का भाव था। लेकिन बारिश उनकी मेहनत पानी फेर दिया। जिससे किसान और चिंता में डूब गए है।
किसानों की स्थिति काफी खराब है। कई किसान कर्ज लेकर खरीफ की योजना बनाते हैं और फसल कटने के बाद कर्ज चुकाते हैं। फसल कटने पर वे उसे बेचकर कर्ज चुकाते हैं। लेकिन, बारिश ने मुंह का निवाला छीन लिया है, इसलिए अब उनका भरोसा केवल सरकारी आर्थिक मदद पर ही टिका है।