गर्भवती को अस्पताल पहुंचाने पुलिस बंदोबस्त। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: आमतौर पर जिले में नक्सल आंदोलन से निपटने, किसी नेता और पदाधिकारियों के आगमन व आंदोलन के दौरान पुलिस बंदोबस्त देखने को मिलता है। लेकिन अब एक नया मामला सामने आया है, जहां प्रसूति की अंतिम तारीख बीत जाने के बाद भी प्रसूति के लिए अस्पताल में भर्ती होने से इंकार करने वाली गर्भवती माता को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी द्वारा अनेक बार समझाने के बाद भी वह अस्पताल में भर्ती नहीं हो रही थी।
ऐसे में माता व शिशु पर खतरा मंडराने की गंभीर संभावना के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को आखिरकार गर्भवती प्रसूति कराने के लिए और उसे अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पुलिस बंदोबस्त का सहारा लेना पड़ा। प्रशासन के सफल प्रयास के कारण गर्भवती माता की प्रसूति समय पर होकर माता और शिशु का स्वास्थ्य स्वस्थ है। जिससे जिला प्रशासन के कार्य की सराहना की जा रही है।
दरअसल हुआ यूं कि, जिले की एटापल्ली तहसील अंतर्गत आने वाले तथा अतिदुर्गम क्षेत्र में बसे वाडसकला गांव निवासी 22 वर्षीय वीणा वासुदेव पोटवी की प्रसूति की संभावित तारीख 21 मई होने के बाद भी वह उपचार के लिए जारावंडी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाने को तैयार नहीं थी। ऐसे में पिछले एक माह से ’90-42 दिवस मिशन’ अंतर्गत जारावंडी के वैद्यकीय अधिकारी डॉ. प्रशील घोनमोडे और आशा सेविका मीना आतला गर्भवती के घर पहुंचकर नियमित स्वास्थ्य जांच कर रहे थे।
15 मई से स्वास्थ्य सेविका सुनंदा आतला और आशा मीना आतला प्रतिदिन गर्भवती के घर पहुंचकर स्वास्थ्य सेवा दे रहे थे। इसके अलावा वैद्यकीय अधीक्षक डॉ. घोनमोडे भी गर्भवती की जांच कर रहे थे। बावजूद इसके गर्भवती और उसके परिजन अस्पताल ले जाने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। ऐसे में पिछले 5-6 दिनों से गर्भवती के चेहरे और पैरों पर सूजन बढ़ गई थी। ब्लड प्रेशर भी बढ़ रहा था।
ऐसे में माता और उसके शिशु को खतरा निर्माण होने की गंभीर संभावना बढ़ गई थी। इस गंभीर स्थिति की ओर अवगत कराने के बाद भी परिजन अस्पताल में भेजने से इंकार कर रहे थे। आखिरकार गर्भवती की प्रसूति करने के लिए उसे अस्पताल ले जाना जरूरी होने के कारण प्रशासन ने जारावंडी पुलिस की सहायता ली। और गर्भवती को अस्पताल में पहुंचाकर सफलतापूर्ण प्रसूति की। वर्तमान में प्रसूति माता और उसके शिशु का स्वास्थ्य स्वस्थ होने की जानकारी जिला प्रशासन से मिली है। प्रशासन के इस कार्य की संपूर्ण जिले में सराहना की जा रही है।
26 मई को डॉ. प्रशील घोनमोडे, ज्ञानेश्वर गिरहे (समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी) और स्वास्थ्य सेविका सुनंदा आतला ने दोबारा गर्भवती के घर पहुंचकर उसकी स्वास्थ्य जांच की। माता के चेहरे पर सूजन बढ़ने और ब्लड प्रेशर बढ़ने के बाद भी परिजन उसे अस्पताल भेजने में तैयार नहीं थे। जिससे डॉ. घोनमोडे को इस मामले की जानकारी तहसील स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. भूषण चौधरी को दी।
डॉ. चौधरी ने उपविभागीय अधिकारी तथा सहायक जिलाधीश नमन गोयल, तहसीलदार हेमंत गांगुर्डे, उपविभागीय पुलिस अधिकारी जगदीश पांडे और गुट विकास अधिकारी आदिनाथ आंधले से संपर्क कर जारावंडी पुलिस थाने से पुलिस कर्मियों का बंदोबस्त लेकर गर्भवती महिला के घर पहुंचे। और उसे प्रसूति के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। प्रशासन की इस तत्परता से समय पर गर्भवती की प्रसूति हो सकी।
जारावंडी पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक मोहिते, पुलिस उपनिरीक्षक चव्हाण, इंगोले, एस. बी. तेलामी और राजस्व सेवक सोपान उईके आदि तत्काल गर्भवती माता के घर पहुंचकर उसे समझाया। उन्होंने माता को जारावंडी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करने के साथ ही उसके परिजनों को वित्तीय सहायता की। जारावंडी में प्राथमिक स्वास्थ्य जांच करने के बाद माता को गड़चिरोली के जिला महिला अस्पताल में लाया गया। जिससे इस कार्य के लिए पुलिस विभाग और राजस्व विभाग का सहयोग मिला है।