केंद्रों पर खुले में पड़ा धान। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: आदिवासी विविध कार्यकारी संस्था द्वारा जिले के सभी तहसीलों के खरीदी केंद्रों पर करोड़ों रुपयों कीमत का धान खरीदी कर रखा गया है। लेकिन इनमें से अनेक केंद्रों पर गोदाम की सुविधा नहीं होने के कारण लाखों क्विंटल धान खुले में पड़ा है। उक्त धान पर तिरपाल बिछाकर रखा गया है। पिछले कुछ दिनों से जिले में बेमौसम बारिश हो रही है, जिसके कारण अनेक जगह के धान भीगने की जानकारी मिली है।
ऐसे में अब आगामी माह में मानसून की शुरुआत होने के कारण खुले में रखे करोड़ों रुपयों के धान भीगने की गंभीर संभावना जताई जा रही है। सरकार द्वारा किसानों से धान खरीदी करने के बाद भी धान रखने के लिए अनेक गोदामों के पास ठोस प्रबंधन नहीं है, जिसका खामियाजा जिले के सभी तहसीलों के केंद्रों पर धान खुले में पड़े होने के रूप में सामने आ रहा है। किसानों से खरीदा गया धान अब तक सुरक्षित जगह पर नहीं रखा गया है।
उपप्रादेशिक व्यवस्थापक समेत स्थानीय प्रशासन द्वारा किसी भी तरह की हलचल होते नहीं दिखाई देने से किसानों में तीव्र नाराजगी है। आगामी कुछ ही दिनों में मानसून की शुरुआत होने वाली है, लेकिन खुले में रखा गया लाखों क्विंटल धान बारिश में भीगने पर सरकार को करोड़ों रुपयों का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ेगा। जिससे सरकार इस मामले को गंभीरता से लेकर धान को सुरक्षित जगह पर रखने की मांग किसानों द्वारा की जा रही है।
बताया जा रहा है कि स्थानीय संस्था और प्रादेशिक प्रबंधन की मिलीभगत के कारण जानबूझकर धान उठाने में विलंब किया जाता है। धान खरीदी करते समय कुछ क्विंटल धान अधिक दिखाया जाता है।
इसके बाद बारिश का अंदाज देख धान उठाने में विलंब किया जाता है, जिसका खामियाजा बारिश में धान भीग जाने के रूप में सामने आता है और इसके बाद संस्था के माध्यम से धान का नुकसान दिखाया जाता है। इस संपूर्ण प्रक्रिया में महामंडल और स्थानीय संस्था जिम्मेदार होकर इस मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय लेनदेन होने की संभावना रहती है, जिससे इस संदर्भ में उच्चस्तरीय जांच करने की आवश्यकता है।
बेमौसम बारिश से 14 हजार किसान झेल रहे परेशानी की मार…
समाजसेवी संतोष ताटीकोंडावार ने कहा कि जिले के सभी उपविभाग के केंद्रों पर धान खुले में पड़ा है। सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर धान की खरीदी की गई है, लेकिन धान रखने की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है। खुले में रखे धान को तत्काल नहीं उठाने पर करोड़ों रुपयों का नुकसान हो सकता है। जिससे संबंधित प्रशासन आगामी 8 दिनों के भीतर खुले में पड़ा धान उठाएं, अन्यथा तीव्र आंदोलन किया जाएगा।