भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसान आक्रोशित (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Hingna Farmers Protest: न्यू नागपुर परियोजना के लिए लाडगांव (रीठी) और गोधनी (रीठी) गांवों में लगभग 1,700 एकड़ कृषि भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस निर्णय से क्षेत्र के किसान नाराज़ हैं। उन्होंने भूमि के उचित मुआवजे और पुनर्वास की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
परियोजना प्रभावित किसान समिति के सदस्य किशोर आष्टनकर ने मंगलवार को आयोजित पत्र परिषद में कहा कि यदि सरकार ने किसानों को न्याय नहीं दिया, तो उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भूमि का मुआवजा वर्तमान बाजार मूल्य से पाँच गुना अधिक दिया जाना चाहिए तथा प्रत्येक प्रभावित किसान को 2,000 वर्गफुट का विकसित भूखंड परियोजना क्षेत्र में प्रदान किया जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि एमएमआरडीए (नागपुर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण) द्वारा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बिना कानूनी औपचारिकताओं के शुरू की गई है। अक्टूबर 2025 में जारी नोटिस का किसानों ने सख्त विरोध किया है और इसे कानूनी चुनौती दी है। इस संबंध में किसानों ने मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, पालक मंत्री, उपविभागीय अधिकारी तथा भूमि अधिग्रहण अधिकारी (नागपुर ग्रामीण) को ज्ञापन सौंपा है।
किसानों ने कहा कि प्रस्तावित न्यू नागपुर योजना का नक्शा महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर नियोजन अधिनियम, 1960 के अनुसार घोषित नहीं किया गया है। जिन कृषि भूमियों को अधिग्रहण में शामिल किया गया है, वे ग्रीन ज़ोन में आती हैं, जिन्हें आज तक न तो येलो बेल्ट और न ही वाणिज्यिक ज़ोन में बदला गया है।
किसानों का कहना है कि नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि भूमि अधिग्रहण किस अधिनियम के अंतर्गत किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के अनुसार सरकार को अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए, जो अब तक नहीं की गई है। किसानों ने यह भी मांग की है कि अधिग्रहित भूमि के बदले प्रत्येक एकड़ पर 12.5% (लगभग 3,000 वर्गफुट) का विकसित भूखंड मुफ्त दिया जाए।
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आष्टनकर ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में लाडगांव और गोधनी में निजी बिल्डरों ने भूमि को ₹75 लाख से ₹1 करोड़ प्रति एकड़ के दर से खरीदा है। इसलिए सरकार को किसानों के साथ न्यायसंगत दरों पर समझौता करना चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार किसानों की भावनाओं को नहीं समझती और उचित मुआवजा नहीं देती, तो किसान अपनी भूमि किसी भी कीमत पर परियोजना के लिए नहीं देंगे।इस अवसर पर परियोजना प्रभावित किसान नरेंद्र टिपले, सतीश आष्टनकर, चंदू मून, भीमराव मूते सहित 25 से अधिक किसान उपस्थित थे।