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इनकमिंग पर BJP में विरोध के सुर, पार्टी कार्यकर्ताओं को किया जा रहा नजरअंदाज! बाहरियों को मिल रहे पद

Nagpur News: भाजपा की ‘तोड़ो और जोड़ो’ नीति अब उसी पर भारी पड़ती दिख रही है। पुराने कार्यकर्ताओं में आयातित नेताओं को तरजीह देने से असंतोष बढ़ा है। स्थानीय चुनावों में असर दिखने की आशंका।

  • By आकाश मसने
Updated On: Oct 28, 2025 | 09:45 AM

प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)

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Nagpur BJP Politics: भाजपा की दूसरी पार्टियों को कमजोर करने के लिए तोड़ने की नीति उस पर ही भारी पड़ सकती है। खासकर जिले में भाजपा की जड़ से जुड़े पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों में दूसरी पार्टियों से आयातित लोगों को अधिक महत्व दिए जाने से असंतोष बढ़ता जा रहा है।

पार्टी अनुशासन व वरिष्ठ नेताओं के भय से हालांकि कोई खुलकर बोल नहीं पा रहा है लेकिन दबी जुबान रोष व्यक्त करने से कोई चूक भी नहीं रहा है। चर्चा तो यह भी चल रही है कि आगामी जिला परिषद, नगर परिषद, नगर पंचायत आदि स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी की इनकमिंग नीति उस पर ही भारी न पड़ जाए।

दरअसल बीजेपी ने लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनावों कांग्रेस व शरद पवार की पार्टी के कुछ बड़े पदाधिकारियों को तोड़कर भाजपा में लाया है। इतना ही नहीं अपने ही वरिष्ठ, अनुभवी, निष्ठावान पुराने दिग्गज कार्यकर्ताओं को साइड में कर आयातित लोगों को पार्टी में बड़े पद दिए गए हैं।

पार्टी के बड़े कार्यक्रमों में बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं को मंच पर कुर्सी नहीं मिल रही और बाहरी लोगों को भारी सम्मान दिया जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के इस रवैये से निष्ठावान कार्यकर्ताओं में भारी रोष देखा जा रहा है।

बाहर से आए लोगों को दिए गए बड़े पद

कांग्रेस और कांग्रेस के दिग्गज नेता को कमजोर करने के लिए बीजेपी ने उनके दमदार कार्यकर्ताओं को साम-दाम-दंड भेद की नीति अपनाते हुए भाजपायी बनाया है। सवाल ही नहीं उठता कि कोई बिना किसी फायदे के पार्टी नहीं बदलता। ऐसे में अपनी पार्टी के मूल कार्यकर्ताओं को किनारे करते हुए बाहरी लोगों को बीजेपी ने संगठन में बड़े पद पर आसीन किया।

कांग्रेस के एक आयातीत पूर्व जिप उपाध्यक्ष को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए जिले को 2 भागों में विभक्त कर आधे जिले की जिम्मेदारी सौंप दी गई। एक अन्य कांग्रेस पदाधिकारी जो पहले विधानसभा चुनाव लड़े, को तोड़कर भाजपायी किया गया और संगठन में बड़ा पद दिया गया।

शरद पवार गुट से आए नेता को बनाया उपाध्यक्ष

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के पूर्व मंत्री के दाहिने हाथ समझे जाने वाले जिप के पूर्व उपाध्यक्ष को उपाध्यक्ष बनाया गया। ऐसे ये कुछ उदाहरण हैं। पार्टी को मजबूत करने के नाम पर बाहरी लोगों को वजनदार बनाने और अपने ही कार्यकर्ताओं को साइड करने के इस रवैये से बीजेपी में असंतोष के सुर निकलने लगे हैं।

यह भी पढ़ें:- NCP कार्यालय में ‘वाजले की बारा’, महिला कार्यकर्ता ने लावणी पर लगाए जमकर ठुमके, VIDEO वायरल

दशकों से पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। हाल ही सोलापुर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस रवैये के खिलाफ पार्टी कार्यालय के सामने आंदोलन तक किया था। नागपुर जिले में भी निकाय चुनाव के समय वैसा होने का अंदेशा जताया जा रहा है।

गडकरी ने भी की थी खिंचाई

कुछ दिन पहले ही नागपुर के कलमेश्वर में आयोजित एक भूमिपूजन कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी पार्टी के पुराने, प्रामाणिक व निष्ठावान कार्यकर्ताओं को साइड किये जाने पर नाराजी जताई थी। उन्होंने अपनी चिर-परिचित शैली में मंच पर उपस्थित पालकमंत्री को संकेत करते हुए कहा था कि ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ न समझें।

गडकरी ने कहा था कि बाहर से आए हुए लोग ‘सावजी चिकन’ जैसे अधिक रुचिकर लगते हैं लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए अपनी पूरी उम्र दी है। उनकी ओर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया तो जिस तेजी से पार्टी ऊपर जा रही है उतनी ही तेजी से नीचे भी आ जाएगी, इसलिए पार्टी की जड़ से जुड़े कार्यकर्ताओं को भूलें नहीं। उस मंच पर भाजपा के डॉ. पोतदार तो थे ही, साथ ही कांग्रेस से भाजपायी हुए विधायक आशीष देशमुख भी मौजूद थे।

Bjp imported leaders policy backfire old workers anger maharashtra

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Published On: Oct 28, 2025 | 09:45 AM

Topics:  

  • BJP
  • Maharashtra
  • Nagpur
  • Nagpur News

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