सुविधाओं के लिए तरस रहे अनेक गांव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Gadchiroli District: आजादी के सात दशकों बाद आज भी घोटसुर क्षेत्र के कई अंदरूनी गांवों तक सड़क, पुलिया जैसी सुविधाएं पहुंचाने में सरकार असफल साबित हुई है। वहीं दूसरी ओर सरकार गांव-गांव तक सड़कों का जाल बिछाने जैसे कई विकास संबंधित दावों की ढोल पिटती है। परंतु वास्तविकता को देखा जाए तो अंदरूनी इलाकों तक पहुंचने से पहले ही सरकार के तमाम दावे दम तोड़ रहे है।
जिसका जीता जागता उदाहरण एटापल्ली तहसील के घोटसुर इलाके में देखा जा सकता है। एटापल्ली तहसील के घोटसुर समेत क्षेत्र में गुंड़ाम, मानेवाड़ा, कर्रेम, कोत्ताकुंडा, भूमकाम, कारका, गोवारटोला, जवेली, कोतरी, गुडऱाम आदि समेत अन्य गांवों में अब तक सड़क नहीं बनी है। वहीं नालों पर पुलियाओं का निर्माण नहीं किया गया है।
एटापल्ली तहसील मुख्यालय से 40 किमी पर कसनसुर गांव बसा हुआ है। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों के गांवों के लिए यहीं केंद्र स्थान माना जाता है। कसनुसर से घोटसुर की दूरी 8 किमी की है। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माणकार्य नहीं किया गया है। क्षेत्र में पहुंचने के लिए 2 नालों को पार करना जरूरी है। लेकिन इन नालों पर स्वाधीनता के 75 वर्षों बाद भी पुल का निर्माण कार्य नहीं किया गया है। तहसील का यह क्षेत्र सर्वाधिक नक्सल प्रभावित है।
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इस क्षेत्र के आधे से अधिक गांवों के नागरिक आज भी अंधेरे में अपना जीवनयापन कर रहे है। सरकार ने आदिवासी उपयोजना के माध्यम से जिले के सुदूर इलाकों में विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन कर आदिवासियों का जीवनस्तर बढ़ाने का दावा किया है। लेकिन यह सारे दावे पूरी तरह विफल साबित होते दिखायी दे रहे है। उपरोक्त समस्याओं के अलावा बेरोजगारी की समस्या ने फिलहाल उग्र रूप धारण कर लिया है। आधुनिक युग में भी प्रशासन का अंदरूनी क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाना तमाम दावों पर प्रश्न चिन्ह अंकित कर रहा है।