
गडचिरोली एसपी नीलोत्पल (सौजन्य-एएनआई)
गडचिरोली: गडचिरोली पुलिस ने बम और बंदूक का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है। गडचिरोली पुलिस ने जिले में नव स्थापित लॉयड्स मेटल्स उद्योग में विभिन्न पदों पर कुल 48 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को नौकरी प्रदान की है।
गडचिरोली एसपी नीलोत्पल ने बताया कि गडचिरोली पुलिस के समक्ष अब तक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या 600 से अधिक है। 2014 में आत्मसमर्पण नीति में बदलाव के बाद सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है। इस आत्मसमर्पण योजना के तहत सरकार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास के लिए कुछ राशि और जमीन उपलब्ध कराती है।
गडचिरोली पुलिस ने इससे दो कदम आगे बढ़कर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के रोजगार के लिए भी प्रयास किए हैं। एसपी नीलोत्पल ने बताया कि जब उन्होंने गडचिरोली में हाल ही में स्थापित लॉयड्स मेटल्स इंडस्ट्री में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के रोजगार के बारे में बात की तो लॉयड्स ने इसे स्वीकार कर लिया। लॉयड्स ने अपने कोंसारी प्रोजेक्ट में नौकरी के लिए 48 आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का चयन किया।
नीलोत्पल ने बताया, “सबसे पहले लॉयड्स ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की शिक्षा और कौशल के अनुसार प्रोफाइलिंग की, बाद में उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी गई। आज ये सभी 48 लोग लॉयड्स की विभिन्न इकाइयों में काम कर रहे हैं और उन्हें 15 से 20 हजार रुपये मासिक वेतन मिल रहा है।”
#WATCH | Gadchiroli, Maharashtra | On Naxalites offered a job, Gadchiroli SP, Neeloptal says, "… Since the establishment of Gadchiroli district, a total of 600 Naxalites have surrendered… We provide land, money and assistance for building a house… Some of them were working… pic.twitter.com/ikF8UlS4nR — ANI (@ANI) January 10, 2025
चटगांव क्षेत्र के डिप्टी कमांडर रहे और 2019 में गडचिरोली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले मनीराम अटला ने कहा, “आत्मसमर्पण करने के बाद मुझे नई जिंदगी जीने का अधिकार मिला है। लॉयड्स मेटल्स में नौकरी पाकर मैं बहुत खुश हूं। मैं अब अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी रहा हूं, अब मुझ पर कोई दबाव नहीं है।”
2014 में पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले कंपनी प्लाटून कमांडर रमेश कटवो ने कहा, “10-12 साल तक नक्सल आंदोलन में रहने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह रास्ता गलत है, इससे न तो हमें और न ही हमारे परिवार को कोई फायदा होगा। इसीलिए मैंने 2014 में सरेंडर कर दिया, सरकार ने मुझे जो नई नौकरी दी है, उससे मैं खुश हूं और अपने परिवार का ख्याल रख रहा हूं।”
2006 में गडचिरोली पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले साईनाथ पुंगाती माओवादी संगठन में युवाओं की भर्ती करते थे, जब उन्हें नक्सलियों की सच्चाई पता चली तो उन्होंने यह रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया, पुलिस के सामने सरेंडर करने के बाद उन्हें लगा कि पहले उनकी जिंदगी डर के साये में थी, अब वह खुलकर सांस ले पा रहे हैं, साईनाथ ने कहा, “नई नौकरी से जिंदगी आगे बढ़ रही है, अब मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है कि मैं अब अच्छी जिंदगी जी सकता हूं।”
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एसपी नीलोत्पल ने बताया कि गडचिरोली पुलिस का मुख्य काम जिले से माओवाद को खत्म करना है, “गडचिरोली पुलिस जिला प्रशासन के साथ मिलकर सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है।” नीलोत्पल ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि जो लोग हथियार लेकर जंगलों में घूम रहे हैं, वे उस रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो जाएं, पुलिस उनके पुनर्वास और रोजगार में मदद करेगी।
महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में गडचिरोली का दौरा किया और जिले में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया। गडचिरोली के कोंसारी में सीएम ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को लॉयड्स मेटल्स में जॉब लेटर के साथ ही शेयर सर्टिफिकेट भी दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र सरकार के इस प्रयास की सराहना की।
एक्स पर अपने पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, “मैं दूरदराज और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों की सराहना करता हूं। इससे निश्चित रूप से ‘जीवन की सुगमता’ बढ़ेगी और और भी अधिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। गडचिरोली और आसपास के क्षेत्रों के मेरे बहनों और भाइयों को विशेष बधाई।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)






