गड़चिरोली बस डिपो (सौजन्य-नवभारत)
ST Bus Shortage Gadchiroli: गड़चिरोली जिले के प्रमुख सार्वजनिक परिवहन केंद्र गड़चिरोली बस डिपो में इन दिनों बसों की भारी कमी देखने को मिल रही है। इसका सीधा असर रोजाना यात्रा करने वाले छात्र, नौकरी पेशा, किसान तथा ग्रामीण यात्रियों पर पड़ रहा है। पर्याप्त बसें उपलब्ध न होने के कारण कई मार्गों पर बस सेवाएं रद्द की जा रही हैं, जिससे यात्रियों को समय पर गंतव्य तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।
बसों की कमी के चलते सुबह और शाम के समय बस स्टैंड पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। छात्र समय पर स्कूल-कॉलेज नहीं पहुंच पा रहे हैं, वहीं नौकरी पर जाने वाले लोगों को देर हो रही है। कई बार एक ही बस में निर्धारित क्षमता से अधिक यात्रियों को ठूंसकर बैठाया जा रहा है, जिससे अव्यवस्था बढ़ रही है। इससे भी अधिक चिंताजनक स्थिति यह है कि डिपो में चल रही कई बसें अत्यंत पुरानी और जर्जर अवस्था में हैं।
ये तथाकथित “भंगार” बसें रास्ते में बार-बार खराब हो जाती हैं। टूटी हुई सीटें, ठीक से बंद न होने वाले दरवाजे, टूटे कांच, तथा ब्रेक और सस्पेंशन की खराबी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसी बसों में यात्रा करना यात्रियों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों की ओर जाने वाले मार्गों पर स्थिति और भी गंभीर है। पहले से ही खराब सड़कों पर जर्जर बसों का संचालन दुर्घटनाओं को निमंत्रण देने जैसा है।
कई यात्रियों का कहना है कि तकनीकी खराबियों के कारण उन्हें जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। बसों की कमी के कारण यात्रियों को मजबूरी में निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
खासकर छात्रों के लिए यह समस्या गंभीर बन गई है, क्योंकि बढ़ता यात्रा खर्च उनके शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। इस स्थिति को देखते हुए नागरिकों ने गड़चिरोली बस डिपो के लिए शीघ्र नई बसें उपलब्ध कराने, जर्जर और खतरनाक बसों को सेवा से हटाने तथा यात्रियों की मांग के अनुसार बस सेवाओं और फेरों में वृद्धि करने की मांग की है।
गड़चिरोली बस डिपो में लगाए गई समय-सारणी के अनुसार कोई भी बस समय पर रवाना नहीं हो रही है, ऐसी गंभीर शिकायतें यात्रियों द्वारा की जा रही हैं। समय-सारणी केवल कागजों तक सीमित रह गई है, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत दिखाई दे रही है।
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जब यात्री पूछताछ काउंटर से संपर्क करते हैं, तो उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता। कभी बताया जाता है कि चालक उपलब्ध नहीं है, तो कभी कंडक्टर की कमी का हवाला दिया जाता है। इस लापरवाही के कारण यात्रियों को भारी मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी गंभीर है। मानव मिशन की बसें भी समय पर नहीं पहुंच रही हैं, जिससे विद्यार्थियों को विशेष रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पढ़ाई के लिए आने-जाने वाले छात्रों को देर से पहुंचना या वैकल्पिक साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा, कई बार एक ही मार्ग पर 15 से 30 मिनट के अंतराल में एक साथ कई बसें छोड़ दी जाती हैं, जबकि अनेक अन्य मार्गों पर दोपहर के समय बसें बिल्कुल उपलब्ध नहीं रहतीं।
ऐसी स्थिति में यात्रियों को मजबूरी में निजी वाहनों से जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। बस सेवा में फैली इस अव्यवस्था को लेकर यात्रियों में तीव्र रोष है और प्रशासन से समय-सारिणी के अनुसार नियमित बस संचालन की मांग की जा रही है।