गणेशोत्सव 2025 (pic credit; social media)
Nagpur Ganesh Utsav: गणेशोत्सव में महज 20 दिन बाकी हैं और शहर में उत्साह का माहौल है लेकिन महानगरपालिका अभी भी सुस्त मूड में दिखाई दे रही है। गणेश मंडलों के लिए अनुमति, मूर्ति विक्रेताओं के लिए जगह आदि के दिशानिर्देशों पर अब तक कोई निर्णय नहीं होने से सभी असमंजस में हैं।
हर साल गणेश मंडलों को अनुमति प्रक्रिया के बारे में एक महीने पहले जानकारी दे दी जाती है, लेकिन अब जब गणेशोत्सव करीब आ रहा है तो कुछ गणेश मंडलों ने कहा है कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। हर साल मूर्तियों की बिक्री के लिए कुछ क्षेत्रों में अलग से स्टॉल लगाए जाते हैं। चूंकि अभी तक इस संबंध में कुछ भी तय नहीं हुआ है।मूर्ति विक्रेताओं ने कहा है कि वे अगले एक-दो दिनों में मनपा आयुक्त से मिलेंगे।
हर साल गणेशोत्सव से एक महीने पहले मनपा में बैठक शुरू होती है। गणेश मंडलों को अनुमति प्रक्रिया के बारे में बताया जाता है। इसके लिए अक्सर एकल खिड़की योजना शुरू करने का इतिहास रहा है। गणेश मंडलों को मंडप का क्षेत्रफल, अग्निशामक व्यवस्था, निर्माल्य, कचरा निपटान आदि के बारे में निर्देशित किया जाता है। लेकिन फिलहाल मनपा में इस संबंध में कोई हलचल नहीं है। इतना ही नहीं, गणेश मंडलों को जोन से अनुमति लेनी होगी या सिविल लाइंस से, इस बारे में भी अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। इस साल अनुमति के लिए एकल खिड़की योजना शुरू होगी या नहीं, यह भी अभी तक पता नहीं है। नतीजतन गणेश मंडल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं।
गणेशोत्सव 27 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। कई लोग डेढ़ से 5 दिन के लिए घरों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करते हैं। गणेशोत्सव के पहले दिन से ही इन गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन की व्यवस्था कर दी जाती है। हालांकि इस साल मनपा इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है।
मनपा के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल घरेलू गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए 419 कृत्रिम तालाब बनाए जाएंगे लेकिन बड़ी गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कोराडी स्थित कृत्रिम तालाब में भी किया जा सकेगा। अधिकारी ने बताया कि इस साल गोरेवाड़ा स्थित कृत्रिम तालाब भी बड़ी प्रतिमाओं के लिए तैयार है।
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ी मूर्तियों को प्राकृतिक जल स्रोतों में तभी विसर्जित करने की अनुमति दी है। जब कोई विकल्प न हो लेकिन मनपा ने इस संबंध में कोई जोखिम नहीं उठाने का फैसला किया है। हर साल की तरह इस साल भी सभी तालाबों के चारों ओर बैरिकेड्स लगाए जाएंगे, इसलिए विसर्जन के लिए कोराडी और गोरेवाड़ा के कृत्रिम तालाबों का ही इस्तेमाल करना होगा।
हाई कोर्ट ने पीओपी की मूर्तियों के निर्माण पर लगी रोक हटाते हुए पर्यावरण के अनुकूल त्योहार मनाने का आदेश दिया है. इसी के तहत राज्य सरकार ने 1 अगस्त से पीओपी की मूर्तियां बेचते समय विक्रेताओं के लिए उनके पीछे लाल निशान लगाना अनिवार्य कर दिया है. पिछले साल हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के आदेशानुसार, मनपा ने भी कहीं भी पीओपी की मूर्तियों के निर्माण, बिक्री या भंडारण को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. अब मनपा इसे लेकर असमंजस में है कि शहर में पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाया जाए या नहीं.